पथ के साथी

Saturday, November 13, 2010

डॉ सुधा गुप्ता के कुछ हाइकु

परिचय
डॉ सुधा गुप्ता
जन्म - 18-5-1934
जन्म -स्थान- मेरठ ( उ.प्र.) भारत
शिक्षा- एम.ए., पी-एच.डी., डी.लिट्.
कार्यक्षेत्र- चौंतीस वर्ष वि.वि. के उत्तर-स्नातक महाविद्यालयों में आचार्य/प्राचार्य, अब सेवा निवृत्त।अब पूर्णत: लेखन को समर्पित
[प्रो, सत्यभूषण वर्मा जी के अनुसार –‘सुधा गुप्ता के हाइकुओं का मूल प्राण प्रकृति के रूप सौन्दर्य, उसके क्षण-क्षण परिवर्तित परिवेश और उससे जुड़ी मानवीय संवेदनाओं की सक्षम अभिव्यक्ति है। उनका प्रत्येक हाइकु एक लघु शब्द चित्र है । ]

1- मेघ-शशक
करने छिड़काव
 पावस आया ।
2- फटती गई
 अँधेरे की चादर
 चाँद उघरा।
3- नन्हा घोंसला
 बिल्ली की ताँक-झाँक
 सहमी शाख ।
4- चन्द लकीरें
समय खींच गया
 देह की माटी ।
5- साथ जो  छूटा
 दुःख पहाड टूटा
 जीवन रूठा।
6-न काटो पेड़
 बाबुना जो आएगी
कहाँ गाएगी ?
7-भटक गई
यादों के बीहड़ में
वहीं बसी हूँ ।
8-आँसू क्यों ढाऊँ ?
दुःख से मिलूँ गले
तुम्हें ही पा लूँ ।
9- ढंग अनूप
 बरगद के नीचे
 सुस्ताती धूप।
10- आग का गोला
 डुबकी मार गया
 हरे समुद्र ।
11- धूप के पाखी
 आँगन में फुदकें
 चढ़े मुँडेर ।
12- असंख्य जीव
 ममता भरी गोद
 मनाते मोद ।
13- लाल गुलाल
पूरी देह पै लगा
 हँसे पलाश ।
-0-
‘बाबुना जो आएगी’ -संग्रह से साभार
  [बाबुना एक छोटी पीले रंग की पंछी है जो पेड़ों की ऊंची शाखाओं में बैठकर गीत गाना पसन्द करती है। ]
.) अन्य रचनाकारों के और अधिक  हाइकु पढ़ने के लिए इस लिंक को आजमाइए http://hindihaiku.wordpress.com/



14 comments:

  1. samvednaon se bare hayku bahut achchhe lage.inme jeevan kaanubhav hai aap ko bahut badhai ho
    saader
    rachana

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  2. बहुत अच्छे हैं सभी हाइकु...... सुंदर प्रस्तुति

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  3. नन्हा घोंसला
    बिल्ली की ताँक-झाँक
    सहमी शाख ।

    बहुत सुंदर हाइकु.

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  4. सभी हाइकू बड़ी मेहनत से लिखे गये है़. मेहनत झलक रही है इसीलिये इनमें काफी गहरायी है. एक संग्रहणीय निधि

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  5. मैने हाईकु कभी लिखा नही मगरापके ब्लाग पर आ कर लगता है अब हाईकु भी सीखना पडेगा। सभी हाईकु बहुत अच्छे लगे। डा. सुधा जी को बधाई। आपका धन्यवाद।

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  6. प्रो0 सत्यभूषण वर्मा जी का कथन आदरणीया सुधा जी के हाइकू के बारे में बिलकुल सही है। ये हाइकू कविता का पूर्ण प्रभाव छोड़ने में सक्षम हैं.

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  7. बहुत सुन्दर हाइकु....
    जिन्दगी के हर पल को खूबसूरती से शब्दों में बाँधकर हमें एक आईना दिखा रहें हैं ये हाइकु !!
    सुधा जी को बधाई !
    रामेश्वर जी को बधाई....यह सुन्दर हाइकु पढ़वाने के लिए !!

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  8. sudhs ji ke haikoo to mujhe shuru se hi bahut pasnd han...unke haikoo men ek jeevan sa dikhta hai unke hikoo prastut karne ke liye aabhar,dudha ji ko badhai.....

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  9. 3-
    नन्हा घोंसला
    बिल्ली की ताँक-झाँक
    सहमी शाख ।

    abhinandan hai is haiku ke lioye
    Devi

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  10. Respected Sir,
    Sudha Ji ke haiku bahut achche lage.
    Sudha ji ko badhai. Aap ko bhi bahut bahut dhanyawad.

    Mumtaz & T.H.Khan

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  11. आप सबको सुधा जी के हाइकु पसन्द आए , इसके लिए आप सबकी प्रेरक टिप्पणी मेरा उत्साह बढ़ाने मेंसहायक है । आप सबका भी आभारी हूँ ।
    -रामेश्वर काम्बोज

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  12. बहुत अच्छे हैं सभी हाइकु, सुंदर प्रस्तुति

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  13. आज यहाँ सुधा जी को पढ़कर बहुत अच्छा लगा...उनके हाइकु आलंकारिकता से भरपूर हैं। कोई भी हाइकु उठा लिया जाए...उसमें चिंतन को कुरेदने वाले बीज अँकुआये हुए दिखते हैं। इसी नमूने को देख लीजिए :

    4- चन्द लकीरें
    समय खींच गया
    देह की माटी ।

    यहाँ ‘देह की माटी’ में वे एक रूपकाभा लेकर उपस्थित हैं! ...और साथ ही, ‘समय’ का मनवीकरण करके उन्होंने इस हाइकु में जीवंतता भर दी है...कुल मिलाकर एक चित्रात्मक प्रस्तुति... बधाई!

    सुधा जी को शायद याद हो कि उन्होंने डॉ. इन्दिरा अग्रवाल (अलीगढ़, उप्र) के ग़ज़ल-संग्रह ‘तुम्हारे लिए’ की मेरे द्वारा लिखी गयी भूमिका पर ढेर सारी शुभकामनाएँ इंदिरा जी के माध्यम से भेजी थीं...बाद में उन्होंने अपनी समीक्षा में भी उसका उल्लेख किया था।
    ..........................
    @ श्री काम्बोज जी...यदि सुधा जी से कभी संवाद हो, तो मेरा नमस्कार उन तक अवश्य पहुँचाएँ...पहुँचा देंगे न...प्लीज़?

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