डॉ.सुरंगमा
यादव
वर्ष का हर दिन नवल है!
आओ बैठें कुछ पल साथ
करें प्रेम से मन की बात
वर्ष यह जाने को हैं!
रहे न मन में कोई शिकन
अब भूलें हम सभी चुभन
वर्ष यह जाने को हैं!
लाया था ये कुछ सौगातें
संग में उनके कुछ घातें
वर्ष यह जाने को हैं!
जाने वाले से गिला क्या ?
जाके कोई फिर मिला क्या?
वर्ष यह जाने को है!
विगत की भर धुंध मन में
शिथिल पग क्यों खड़े पथ में ?
वर्ष नव आने को हैं!
हर्ष की उजली किरण से
करें स्वागत पूरे मन से
वर्ष नव आने को हैं!
वर्ष का हर दिन नवल है
कर्म बिन हर दिन विफल है
वर्ष नव आने को हैं!
बहुत सुन्दर रचना, हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना
ReplyDeleteबधाई आदरणीय
बहुत ही सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति। बधाई। सुदर्शन रत्नाकर
ReplyDeleteसुंदर रचना सुरंगमा जी!
ReplyDeleteसुंदर कविता! नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
बहुत सुन्दर कविता, बहुत बधाई
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