पथ के साथी

Tuesday, January 10, 2023

1268-दो कविताएँ

 1-गाँव की लड़कियाँ

 -सुरभि डागर 


 

हरी हरी कोमल दूब- सी

निखरी- निखरी सी लगती हैं 

गाँव की लड़कियाँ

चेहरा सूर्य सा चमचमाता हुआ

वहीं  संस्कार माँ ने

 कूट-कूटकर भर देती हैं

मान सम्मान की ओढ़नी ओढ़े हुए

सरसों के खेत- सी लहराती हुई 

लगती हैं गाँव की लड़कियाँ

खेत की पगडंडी पर अपने

सपनों  को लेकर बढ़ती रहती हैं 

गाँव की लड़कियाँ

पर सुनो ........

 

पढ़ना भी चाहती हैं  गाँव की लड़कियाँ

चिड़ियों की भाँति उड़ना चाहती हैं

नदी के  जैसा उछल- कूदकर

अपना लक्ष्य पाना चाहती हैं

संगीत- सा वायु में रमना चाहती हैं

बादलों से बूँद बनकर धरती को

सोंधी - सोंधी महक से महकाना 

चाहती हैं 

स्वयं का  अस्तित्व बनाना चाहती हैं

 गाँव की लड़कियाँ

पर सुनो…....

भूखे भेड़ियों के डर से अपने 

सपनों को दबा देती हैं

पिता की पगड़ी को बेदाग

रखने के खातिर

अपने सपनों को छोड़

हर रंग में रँग जाती हैं 

गाँव की लड़कियाँ;

क्योंकि भावनाओं की 

डोर से  बँधी होती हैं

गाँव की लड़कियाँ। 

-0-


2-कुंदन हो जाऊँ

 अमृता अग्रवाल ( नेपाल)

 


छू लो मेरी रूह को मैं चंदन हो जाऊँ...,

पाकर तेरा एहसास मैं पावन हो जाऊँ।

सुलग जाए रोम- रोम मेरा इश्क़ की भट्ठी में

खाक होकर तन मेरा, मैं कुंदन हो जाऊँ..।

 

बनकर कहानी जीवन के गीत की,

इतिहास के शिलालेख पर मैं स्वर्णिम अक्षर हो जाऊँ।

 

किसे पाना और अब क्या खोना तुझे,

घुलकर तुझमें मैं तुझसी ही हो जाऊँ।

 

संचित कर लिया है मैंने तेरी महक को खुद में,

गुल में खिलकर मैं अभिनंदन हो जाऊँ..।

यूँ तो लाज़मी है इश्क़ में बर्बाद होना,मगर!

इस हसरत में खोकर भी मैं मुक्त हो जाऊँ..।

-0-

 

 

 

19 comments:

  1. सुरभि जी और अमृता जी की बहुत सुंदर रचनाएँ ! आप दोनों को हार्दिक बधाई।

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    1. आपका हार्दिक आभार 🙏

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  2. दोनों ही कविताएँ बड़ी ही मार्मिक और हृदय स्पर्शी हैं |किन्तु गांवं की लडकियाँ पढकर मुझे ऐसा लगा कि मैं अपने गांवं पहुंच गया |अति सुदर |श्याम -हिंदी चेतना

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    1. आपका हार्दिक आभार सर , प्रसन्नता हुई मुझे कि आप स्मृतियों से गाँव पहुंचे 🙏☺️

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  3. सुरभि जी एवं अमृता जी सुंदर सृजन के लिए बधाई
    दोनों कविताएँ भावपूर्ण ...
    निम्न पंक्तियाँ बहुत ही सुंदर -
    स्वयं का अस्तित्व बनाना चाहती हैं..
    क्योंकि भावनाओं की / डोर से बँधी होती हैं...
    एवं
    घुलकर तुझमें मैं तुझसी ही हो जाऊँ।
    शुभकामानाएँ

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    1. आपका हार्दिक आभार मैम 🙏

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  4. गाँव की लड़कियों का बड़ा सच्चा चित्रण किया है सुरभि जी ने।अमृता जी की कविता बहुत भावपूर्ण ।हार्दिक बधाई

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    1. आपका हार्दिक आभार 🙏

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  5. गाँव की लड़कियों की भावनाओं का बहुत सुंदर मार्मिक चित्रण। सुरभि जी हार्दिक।
    घुल कर तुझमें मैं, तुझसी ही हो जाऊँ। बहुत सुंदर भावपूर्ण कविता बधाई अमृता जी। सुदर्शन रत्नाकर

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  6. आपका हार्दिक आभार 🙏

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  7. सुरभी जी की रचना में गाँव की लड़कियों की मनोदशा का सुंदर चित्रण है। अमृता जी की भी ख़ूबसूरत भावपूर्ण रचना है आप दोनो को हार्दिक बधाई। सविता अग्रवाल “सवि”

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  8. गाँव की लड़कियों का सहज और स्वाभाविक चित्रण करती सुंदर भावपूर्ण कविता के लिए सुरभि डागर जी तथा प्रेम के पावन स्वरूप से परिचय कराती सुंदर भावपूर्ण कविता हेतु अमृता अग्रवाल जी को बहुत बहुत बधाई।

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  9. बहुत सुंदर रचनाएँ

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  10. अभिव्यक्ति का बेहतरीन भाव पक्ष प्रस्तुत करती गाँव की लड़कियाँ , और सुन्दर कुन्दन हो जाऊँ, हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  11. सुरभिऔर अमृता जी को उनकी प्यारी-प्यारी रचनाओं के लिए बहुत बधाई

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  12. गाँव की लड़कियाँ- मन को छू गई। बधाई सुरभि जी।

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  13. अमृता जी मुक्त होने तक के सफ़र की सुंदर कामनाएं, रचती रहें। शुभकामनाएं।

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  14. गाँव की बहती निर्मल नदी सी बहती लगी 'गाँव की लड़कियाँ'। सुंदर कथ्य, सुंदर भाव और प्रवाह मन को कविता संग बहाता रहा। बहुत बधाई सुरभि जी 💐

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  15. अमृता जी इश्क़ के रंग आपके जीवन में ख़ूबसूरती भरते रहें। सुंदर कविता अमृत जी।बधाई

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