पथ के साथी

Wednesday, May 11, 2022

1207-गुलमोहर

अंजू खरबंदा

एक दिन 


तुम्हारी प्रतीक्षा करते हुए

इकट्ठे कर लिये मैंने

ढेर सारे गुलमोहर,

तुम आई तो मुस्कुराते हुए 

उछाल दिए तुम्हारी ओर

अचानक

फूलों का सुर्ख रंग

तुम्हारे चेहरे पर उतर आया! 

एक दिन

मेरा इंतजार करते हुए

तुमने चुन लिए ढेर सारे गुलमोहर

मेरे आने पर

मेरी ओर उछाले और खिलखिला कर हँस दी

यूँ लगा मानो

सारी सृष्टि खिलखिला उठी हो! 

कल रात


यादों की डायरी खोली

उसमें रखे 

गुलमोहर से मुलाक़ात हुई

फिर सारी रात

सिर्फ अँखियों में कटी!

-0- 

16 comments:

  1. बहुत सुंदर।
    हार्दिक बधाई आदरणीया अंजू जी 🌷💐

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  2. बहुत सुंदर
    सत्या शर्मा ' कीर्ति '

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  3. अभी बहुत सुंदर खिल रहा है गुलमोहर। बधाई

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    1. हाँ जी बिलकुल 😊🌹

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  4. हार्दिक आभार सखी ❤️

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  5. बहुत ही सुंदर रचनाएँ। हार्दिक शुभकामनाएँ

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    1. हार्दिक आभार सर

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  6. अच्छी रचना, हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  7. सुंदर सृजन... भावनाओं से सिक्त... 🌹🌹🙏

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  8. गुलमोहर के माध्यम से प्रेम की अभिव्यक्ति की सुंदर कविताएँ।बधाई अंजू खरबंदा जी।

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    1. दिल से शुक्रिया 🙏😊

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  9. सुंदर रचनाएँ... हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  10. बहुत सुंदर रचनाएँ, आपको बधाई अंजू जी!

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  11. गुलमोहर पर रची सुंदर भावपूर्ण रचनाएँ। बधाई।

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  12. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति। हार्दिक बधाई अंजू जी। सुदर्शन रत्नाकर

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  13. अहा! गुलमोहर जैसी खूबसूरत रचनाएँ. बधाई अंजू जी.

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