पथ के साथी

Saturday, March 19, 2022

1194-सुख-दुख

प्रीति अग्रवाल

 दुःख में, जाने ऐसा क्या है

एक बार की अनुभूति भी
बरसों तक साथ रहती है
उसी शिद्दत से बार- बार,

हर बार मिलती है...


सुख में वो बात नहीं...
उसकी यादें
धुँधली हो जाती हैं
बिसरी अनूभूति पाने की धुन
फिर सवार हो जाती है
दर -दर घुमाती हैं
होड़ लगवाती
फिर भी
उस भूले सुख को
दोहरा नहीं पाती है...

कैसी विडंबना है,
दुख कोई नहीं चाहता
पर वो चाहे कितना ही पुराना हो,
साथ निभाता है
जब भी याद आता है
उसी गुज़रे दौर में ले जाता है,
सारी बारीकियाँ
एक बार फिर दोहराता है।

सुख, सब चाहते है
पर, वो चाहे
कितना ही नया क्यों न हो
असन्तुष्ट ही रखता है
'बस, एक बार और '
इस अनबूझ, अतृप्त चाह में
दौड़ाए रखता है...

कहीं ऐसा तो नहीं
दुख, चिरकालिक है
स्थायी है,
सुख, क्षणभंगुर है
अस्थायी है...?

आखिर कुछ तो कारण है
कि दुख याद रहता है
सुख भूल जाता है.... !


16 comments:

  1. पीड़ा की सघन अनुभूति को व्यक्त करती भावपूर्ण कविता।प्रीति जी को बधाई।

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  2. बहुत ही भावपूर्ण।
    हार्दिक बधाई आदरणीया प्रीति जी को 🙏

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  3. बहुत ही भावपूर्ण रचना
    सुंदर
    हार्दिक बधाई प्रीति जी

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  4. प्रीती जी आपकी रचना बड़ी ही भावुकता से लवालव है |मनको छू गयी |श्याम -हिन्दी चेतना

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  5. पत्रिका में स्थान देने के लिए आदरणीय भाई साहब का हार्दिक आभार!

    आदरणीय श्याम भाई साहब ,पूर्वा जी, रश्मि जी और भैया शिवजी, आपने मेरी कविता के मर्म को समझा, सराहा, यही मेरा सबसे बड़ा पुरस्कार है। हृदयतल से आभार!

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  6. बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति... हार्दिक बधाई प्रीति।

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  7. आखिर कुछ तो कारण है
    कि दुख याद रहता है
    सुख भूल जाता है.... !
    क्या खूब...इन पंक्तियों ने कितना कुछ कह दिया | मेरी बधाई |

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  8. दुख, चिरकालिक है
    स्थायी है,
    सुख, क्षणभंगुर है
    अस्थायी है...? बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति। हार्दिक बधाई प्रीति जी।

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  9. बहुत बहुत आभार सुदर्शन दी, प्रियंका जी, कृष्णा जी!

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  10. बहुत भावपूर्ण सृजन । हार्दिक बधाई।

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  11. बहुत सुंदर रचना

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  12. हार्दिक आभार ओंकार जी, रीत जी!

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  13. दुख हमें जोड़ता है, क़रीब लाता है सुख में वो बात कहाँ ?
    सुंदर विचारप्रधान कविता बधाई प्रीति जी।

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  14. सुन्दर रचना, हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  15. हार्दिक आभार सुशीला जी, भीकम सिंह जी।

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  16. बहुत भावपूर्ण रचना. बधाई प्रीती जी.

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