पथ के साथी

Tuesday, February 15, 2022

1186-ज्यों सर्दी की धूप

 रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'


16 comments:

  1. बहुत सुंदर दोहे

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  2. बहुत सुंदर दोहे, विशेषतः 'तेरा दुख देता मुझे...'।
    धन्यवाद आदरणीय।

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  3. बड़े ही मनोभाव से सृजन किया है सर! इतने खूबसूरत दोहों का , सौ वर्षों तक ऐसे ही रचते रहें ,हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  4. वाह,भाव जगत को आह्लादित करते बेहतरीन दोहे।सादर नमन।

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  5. बहुत सुंदर भावों की अभिव्यक्ति करते दोहे, हार्दिक शुभकामनाएं।

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  6. सबसे ऊपर प्यार है कोई न अनुबंध...
    बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण दोहे
    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ

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  7. बहुत सुंदर दोहे।बधाई भैया।

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  8. एक से बढ़कर एक सुन्दर दोहे ...मनभावन, भावपूर्ण ...
    गुरुवर को नमन
    हार्दिक बधाई

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  9. वाह्ह्ह... सर बहुत ही सुंदर भावपूर्ण दोहे...सार्थक सदेंश सहित सर्वोत्तम रचना 🙏🌹🌹🙏🌹🙏

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  10. बहुत सुंदर दोहे! हार्दिक बधाई! 🌹

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  11. काम्बोज जी के दोहे पढकर " श्रंगार सम्राट विहारी लाल " जी की याद आ गयी | बहुत ही सुंदर प्रेम और श्रंगार का संगम है आपके दोहों में | एक -एक शब्द में प्रेम की सुगंध है ; वास्तविकता भी | बहुत समय के बाद के बाद ऐसे भाव पढने को मिले | मेरी ओर साधुवाद |श्याम हिंदी चेतना

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  12. सभी आत्मीयजन की उत्साहवर्धक टिप्पणियों के लिए हार्दिक आभार।

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  13. बहुत भावपूर्ण बेहतरीन दोहे...हार्दिक बधाई भाईसाहब।

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  14. प्रेम भाव की बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ।।हार्दिक बधाई

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  15. बहुत सुन्दर दोहे. कोई भी किसी से कमतर नहीं, सभी प्रेम से भरे हुए और प्रेम में डूबे हुए. अद्भुत सर्जन के लिए काम्बोज भाई को हार्दिक बधाई.

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  16. एक से बढ़ कर एक दोहे, बहुत बहुत बधाई आपको

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