काम्बोज जी के दोहे पढकर " श्रंगार सम्राट विहारी लाल " जी की याद आ गयी | बहुत ही सुंदर प्रेम और श्रंगार का संगम है आपके दोहों में | एक -एक शब्द में प्रेम की सुगंध है ; वास्तविकता भी | बहुत समय के बाद के बाद ऐसे भाव पढने को मिले | मेरी ओर साधुवाद |श्याम हिंदी चेतना
बहुत सुंदर दोहे
ReplyDeleteबहुत सुंदर दोहे, विशेषतः 'तेरा दुख देता मुझे...'।
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय।
बड़े ही मनोभाव से सृजन किया है सर! इतने खूबसूरत दोहों का , सौ वर्षों तक ऐसे ही रचते रहें ,हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteवाह,भाव जगत को आह्लादित करते बेहतरीन दोहे।सादर नमन।
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावों की अभिव्यक्ति करते दोहे, हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteसबसे ऊपर प्यार है कोई न अनुबंध...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भावपूर्ण दोहे
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ
बहुत सुंदर दोहे।बधाई भैया।
ReplyDeleteएक से बढ़कर एक सुन्दर दोहे ...मनभावन, भावपूर्ण ...
ReplyDeleteगुरुवर को नमन
हार्दिक बधाई
वाह्ह्ह... सर बहुत ही सुंदर भावपूर्ण दोहे...सार्थक सदेंश सहित सर्वोत्तम रचना 🙏🌹🌹🙏🌹🙏
ReplyDeleteबहुत सुंदर दोहे! हार्दिक बधाई! 🌹
ReplyDeleteकाम्बोज जी के दोहे पढकर " श्रंगार सम्राट विहारी लाल " जी की याद आ गयी | बहुत ही सुंदर प्रेम और श्रंगार का संगम है आपके दोहों में | एक -एक शब्द में प्रेम की सुगंध है ; वास्तविकता भी | बहुत समय के बाद के बाद ऐसे भाव पढने को मिले | मेरी ओर साधुवाद |श्याम हिंदी चेतना
ReplyDeleteसभी आत्मीयजन की उत्साहवर्धक टिप्पणियों के लिए हार्दिक आभार।
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण बेहतरीन दोहे...हार्दिक बधाई भाईसाहब।
ReplyDeleteप्रेम भाव की बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ।।हार्दिक बधाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर दोहे. कोई भी किसी से कमतर नहीं, सभी प्रेम से भरे हुए और प्रेम में डूबे हुए. अद्भुत सर्जन के लिए काम्बोज भाई को हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteएक से बढ़ कर एक दोहे, बहुत बहुत बधाई आपको
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