यादें
प्रियंका गुप्ता
1
यादें
कभी यूँ भी होती हैं
मानो,
किसी सर्द रात में
बर्फ़ हो रहे बदन पर
कोई चुपके से
एक गर्म लिहाफ़ ओढ़ा जाए ।
2
यादें
कभी दर्द होती हैं
और कभी
किसी ताज़ा घाव पर
रखा कोई ठंडा मरहम ।
3
यादें
मानो,
कभी जल्दबाज़ी में
सर्र से छूटती कोई ट्रेन
भाग के पकड़ो
वरना फिर
जाने कब पकड़ पाएँ ?
4
यादें-
कभी सर्दी में
बदन पर पड़ा बर्फ़ीला पानी;
या फिर
किसी हड़बड़ी में
जल गई उँगली पर
उगा एक फफोला;
तकलीफ तो होती है-
है न ?
-0-
Bahut bhavpun komal lagin aapki yaden meri hardik badhai...
ReplyDeleteYaade
Jinhen kabhi kabhi
Bas odhkar so jane ko dil chahata hai...
क्या बात है भावना जी...! बहुत बहुत शुक्रिया आपका...|
Deleteसत्य कथन...
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteयादों का गुलदस्ता है यहाँ और सभी फूल महके -महके | बधाई |
ReplyDeleteशुक्रिया...|
ReplyDeleteआदरणीय पूर्णिमा जी, सुनीता जी और शशि जी...आपकी प्यारी प्रतिक्रियाओं के लिए दिल से आभार...|
ReplyDeleteकिसी सर्द रात में
ReplyDeleteबर्फ़ हो रहे बदन पर
कोई चुपके से
एक गर्म लिहाफ़ ओढ़ा जाए........... बहुत, बहुत सुंदर प्रियंका जी, बधाई।
बहुत सुंदर,भावपूर्ण रचना प्रियंकाजी। बधाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लगी यादें अनुभव से गुजरे पलों को कोई कोई ही रूप दे पाता है ।प्रियंका जी चौथी याद ने बहुत प्रभावित किया । शुभकामनायें और बधाई ।
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना, बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.....प्रियंका जी बहुत बधाई!
ReplyDeleteख़ूबसूरत यादों का सिलसिला बनाया है ... बहुत ख़ूब ...
ReplyDeleteयादों के सुन्दर रूपों की अभिव्यक्ति हेतु बधाई |
ReplyDeleteपुष्पा मेहरा
यादें हैं
ReplyDeleteकिसी की पहुंच दिल तक
जिन्हें चाहकर रोका न जाए।
वो अहसास हैं जो
महकते हैं देर तक
जेहन में।
यादें तो बस यादें हैं।
बहुत खूबसूरत प्रियंका जी।
खुबसूरती से यादों को महकाया .
ReplyDeleteबधाई
हर रूप में ...बहुत प्यारी हैं यादें आपकी !
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई प्रियंका जी !!!
बहुत खूबसूरत नए बिम्ब . बहुत सुन्दर प्रियंका .
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रियंका जी ....
ReplyDeleteकिसी सर्द रात में
बर्फ़ हो रहे बदन पर
कोई चुपके से
एक गर्म लिहाफ़ ओढ़ा जाए..
बहुत-बहुत बधाई प्रियंका जी !!!
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आप सभी का बहुत बहुत आभार...
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