1-हाइकु
1-डॉ. ज्योत्स्ना
शर्मा
1
जीवन-यात्रा
चले अनवरत
सुगम पथ ।
2
पग तो बढ़ा
उजालों का सूरज
लेकर नया ।
3
ले आया चाँद
झिलमिल ओढ़नी
सखी के लिए ।
-0-
2-अनिता ललित
1
खिली है आशा
मन को उमंगों ने
आज तराशा।
2
नई भोर ने
लहराया आँचल
उम्मीदों भरा।
3
ओस नहाई
सपनों की टोकरी
भोर है लाई।
-0-
3- मंजूषा 'मन'
1
जाता ये साल
कैद से रिहाई पा
करे मलाल।
2
भोर सुहानी
नववर्ष में लाये
नई कहानी।
-0-
4-शुभकामनाएँ ये
भी तो हैं
(परम स्नेही और आदरणीय
भैया को नववर्ष की ढेरों बधाइयाँ , शुभकामनाएँ )
कमला निखुर्पा
भैया
बहुत कोशिश
की
कविता लिखने की
कुछ नया रचने की
की बोर्ड पे फिरती रही उँगलियाँ
स्क्रीन को देखती रही अँखियाँ
कुछ लिखा फिर डिलीट किया
फिर लिखा फिर मिटा दिया
क्या लिखूँ कुछ समझ ना आया
जो भी लिखा मन को ना भाया
अचानक मन
शंकित हो घबराया
क्या चुक गई लेखनी की ताकत ?
क्या सूख गई सृजन की धार ?
वो सृजन धारा
जिसे बरसों पहले
तुम ले आए थे
भगीरथ बन कर
संग- संग चलते रहे थे अविरल
सींचते रहे थे मन -मरुथल
फिर क्यों आज सृजन -गंगा
सागर तक पहुँचने
से पहले ही
सरस्वती बन
लुप्त होने चली ?
जाने क्यों ..
कल्पना के मेघ
अब मन -गगन पे उमड़ते ही नहीं
भावों की बदली दूर क्षितिज तक
नजर आती ही नहीं ..
देखो ना आज कितना कुछ रचना था
नववर्ष का
उपहार भेंट करना था
पर कविता रूठ गई
छंदों की पायल टूट गई ।
जिद्दी शब्द कहना मानते नहीं
हाथ छुड़ाकर भाग जाते हैं
कितनी कोशिश की
लिखने की कुछ नया रचने की
मन का सूना कोना
कुछ ना रच पाया ।
क्या लिखूँ कुछ समझ ना आया
जो भी लिखा मन को ना भाया ।
बस इतना भर लिखना
चाहूँ
'अँजुरी भर
आसीस' कलम देती रहे
'माटी पानी और हवा' के संग
हँसती- खेलती रहें
'फुलिया और मुनिया '
मन के अंगना 'झरे हरसिंगार'
साहित्य गगन
में चमके 'भाषा चन्द्रिका'
हरा समन्दर गोपी चंदर के संग
नाचे 'सोनमछरिया'
बस इतना कहना चाहूँ
इस 'असभ्य
नगर' में
'खूँटी पर ना टँगने पाए आत्मा'
कोई
बहने ना पाए
कभी 'धरती
के आँसू '
हर 'दूसरा सवेरा' 'मिलाए किनारों' को
कल- कल बहे सृजन की गंगा
हो जाए कुछ
ऐसा अनूठा
हर पथिक कहे 'मैं घर लौटा '
आपकी बहिन
कमला निखुर्पा
-0-
वाह कमला जी...अगर रूठी लेखनी ऐसी खूबसूरत रचना सामने लाएगी तो फिर मानी हुई कलम क्या जादू बिखेरेगी...| बहुत मनभावन लिखा है आपने...| बहुत बधाई...|
ReplyDeleteसभी हाइकु बहुत अच्छे हैं...| सबको बधाई...एवं नव वर्ष की अशेष शुभकामनाएँ...|
धन्यवाद प्रियंकाजी ॥
Deleteधन्यवाद प्रियंकाजी ॥
Deletebahut sundar! नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ...
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत हाइकु और बहुत सुन्दर कविता | सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं |दिन बी दिन लेखनी समृद्ध होती जाए | -
ReplyDeleteसुरेन्द्र वर्मा
bahut sunder haiku aur kavita . nav varsh ki aap sabhi ko shubh kamanayen.
ReplyDeletepushpa mehra .
बहुत मनभावन हाइकु रचना है और नव वर्ष की नयी उमंगें है .कविता भी सुंन्दर भाव लिए है हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteभाव भरे हाइकु ज्योत्सना जी ,अनिता ललित,और मंजूषा मन जी ,बहुत सुन्दर भाव लिये लिखा यह हाइकु ...खिली हैआशा/मन को उमंगों ने/आज तराशा ।अति उत्तम ।बधाई आप सब को और नये साल की ढ़ेरों शुभकामनायें?और कमला निखुर्पा जी आप तो कमाल करती हैं न लिखते लिखते कितना कुछ लिख गई लेखनी आप की ...कहाँ रूठी कविता...छंद तो छनछना रहें हैं ।आनंदानुभूति हो रही है इतना रसभरा ,स्नेह भरा पढ़ कर ।बधाई ।और भी कहना चाहूँगी ।धन्य हुई वह लेखनी जो तेरे कर-कमलों में विराज कर इतनी प्रशंसा लूट रही है ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर हाइकु और कविता बधाई।
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सुन्दर हाइकु अनिता जी , मंजूषा जी ..बधाई ..शुभ कामनाएँ !
ReplyDeleteबेहद ख़ूबसूरत लेखन कमला जी ...सरस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई ..यूँ तो काम्बोज भाई जी हमारे लेखन में दिखाई देते ही हैं ..लेकिन ..आज आपने रचनाओं सहित साकार किया है ..बहुत शुभ कामनाएँ :)
bahut sunder haiku aur kavita . nav varsh ki aap sabhi ko shubh kamanayen.
ReplyDelete