याद नहीं
मुमताज़ -टी एच खान
ज़िन्दगी में उतार-चढ़ाव आया , अब कुछ याद नहीं।
इस दुनिया ने हमें खूब रुलाया , अब कुछ याद नहीं।
अपनों ने हमें पराया बनाया , अब कुछ याद नहीं।
सारी -सारी रात हमें जगाया , अब कुछ याद नहीं।
पीड़ाओं को खूब गले लगाया , अब कुछ याद नहीं।
ज़िन्दगी में हमने धोखा खाया, अब कुछ याद नहीं।
आपने जबसे हमारे जीवन में , फैलाई रोशनी
बीत गए सब अँधेरे वो कैसे , अब कुछ याद नहीं
ख़ूबसूरत तस्वीरों के साथ लाजवाब प्रस्तुती! बहुत बढ़िया लगा!
ReplyDeleteआपने जबसे हमारे जीवन में,फैलाई रोशनी
ReplyDeleteबीत गए सब अँधेरे वो कैसे,अब कुछ याद नहीं
खूबसूरत तस्वीरों के साथ खूबसूरत रचना
bahut sundar prastuti... aur photo bhi sateek...
ReplyDeleteआपने जबसे हमारे जीवन में,फैलाई रोशनी
ReplyDeleteबीत गए सब अँधेरे वो कैसे,अब कुछ याद नहीं..
बहुत ही खूबसूरत ख्याल ....
चलें इन पंक्तियों को यूँ पूरा किए देतें हैं.........
हाँ बस याद है इतना
आपने हमें प्यार दिया कितना
अच्छा हुआ वो सब भूल गए
जिसने हमें दु:ख दर्द दिए
बस अब तो यह याद रहे
हमें भले से एक भईया मिले
हमारी खुशी में जो सदा खुश हैं हुए
दर्द हमारे को , वो दर्द अपना कहें !!!
चित्रों से सजी इस मखमली रचना के लिए बधाई!
ReplyDeleteआपने जबसे हमारे जीवन में , फैलाई रोशनी
ReplyDeleteबीत गए सब अँधेरे वो कैसे , अब कुछ याद नहीं
अब इसे तो याद रख लीजिए.
:)
सुंदर प्रस्तुति.
बहुत अच्छी रचना। आभार।
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति!
ReplyDeleteकाम्बोज साहब आपने बहुत ही शानदार लिखा है
ReplyDeleteपूरी गजल अच्छी बन गई है
बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
ReplyDeleteसाहित्यकार-महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
भाई राजकुमार सोनी जी , आपकी टिप्पणी बहुत उत्साहवर्धक है । यह कविता मेरी नहीं , वरन् मेरी 23 साल पहले की छात्रा , मुमताज़ और उनके पतिदेव टी एच खान की है। मेरी छात्रा का अपने पति के साथ मिलकर लिखा बहुत से साथियों को अच्छा लगा , मेरे लिए बहुत गर्व की बात है । आप सबका हार्दिक धन्यवाद ।
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ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति- साधुवाद!
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
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बहुत अच्छी प्रस्तुती
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यहाँ पधारे - मजदूर
दर्द और खुशी की बात कहने का ताज़ा अंदाज़. बहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी रचना मगर हर्दीप जी ने इसमे चार चाँद लगा दिये। बधाई
ReplyDeleteAdaraneey Ser,
ReplyDeleteBahut khubsurat bhavon vali kavita ke liye abhara sveekar karen.
Poonam
jeevan me isse achchhi kya puji hogi ?
ReplyDeleteapne padhaye bachche jab aesa sochte hain garv hota
aap pr hum sabhi mo man hai
bahut sundr likha hai
mumatz aur khan ji ko b adhai
saader
Rachana Srivastava
BBC Talk contributor, Poet, & Writer
http://rachana-merikavitayen.blogspot.com/
Bahut khubsurat rachna bahut-bahut badhai.
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