1-सविता अग्रवाल 'सवि', कैनेडा
बिखरी
आशाएँ
कुछ
आशाएँ इतनी उड़ीं
कि
आकाश को छूने लगीं
जो छू न सकीं जब आसमाँ
तो
बादल बन विचरने लगीं
कुछ
बुलंदी को छू न सकने के ग़म में
आपस
में लड़, गरजने
लगीं
इतना
गरजीं कि बिजली बन
कौंधकर
धरा पर आ गिरीं
कुछ
रूप बदल,
इधर
उधर भटकने लगीं
कुछ
परेशान और हताश हुईं और
घटाएँ बन रो-
रोकर बरसने लगीं
जिन्हें
न चाह थी उड़ने की कभी
वे
जमी बर्फ़ की तहों में, जमीं,
और
जमकर रह गयीं |
-0-सविता अग्रवाल ‘सवि’, कैनेडा
(905)671-8707
-0-
1-धुँधली शाम/ प्रीति अग्रवाल (कैनेडा)
चित्र : प्रीति अग्रवाल |
हमसफर,
हमकदम,
हमजु़बाँ
हो
गए।
शाम
धुँधला
गई कब
ख़बर
ही नहीं!!!
-0-
2-सोनचिरैया/ प्रीति अग्रवाल
बाबुल
! तेरे आँगन की
मैं
सोनचिरैया
उड़
जाऊँगी,
चित्र : प्रीति अग्रवाल |
इधर
चहकती
उधर
फुदकती,
तेरे
मन को
मैं
हर्षाती,
कभी
भाई को
कभी
माई को,
दादी
-संग मिल
गीत
सुनाती।
कर
लेने दे
कुछ
मनमानी,
बेफिक्री
के संग
नादानी,
कल
न जाने
किस
घर जाऊँ,
क्या
जाने उनके
मन
भाऊँ!??
गागर
भरके
लाड़
प्यार से,
ममता
समता
और
दुलार से,
चाहे
जो हो
जैसा
भी हो,
उस
घर जा
मैं
छलकाऊँगी,
बाबुल
तेरे आँगन
की
मैं,
सोनचिरैया
उड़
जाऊँगी!!!
सविता जी आशाओं की बेहतरीन उड़ान!!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर दोनों रचनाएँ …. प्रीति जी, सविता जी बहुत बधाई।
ReplyDeleteकृष्णा जी हौसला बढ़ाने के लिए आभार!
ReplyDeleteआदरणीय भाई काम्बोज जी मेरी कविता को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार |कृष्णा जी और प्रीति जी आप दोनो का ह्रदय से आभार |प्रोत्साहित करती रहिये जिससे लेखनी को बल मिले|
Deleteप्रीति जी की कवितायें चित्रों को सार्थक कर रही हैं हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteसविता जी आशाओं और बादलों का बहुत सुंदर रूपक बाँधा है।बधाई
ReplyDeleteप्रीति जी भावपूर्ण सुंदर कविता बधाई।
ReplyDeleteप्रोत्साहन के लिए आपका आभार!
Deleteसविता जी की कविता सुंदर रूपक है,वहीं प्रीति जी की कविताएँ भावनाओं को झंकृत करती हैं,विशेषतः सोन चिरैया बेटियों के मनोभाव को बहुत सहज ढंग से व्यक्त करने वाली एक ऐसी कविता है जो जो हृदय को छूती है।दोनो को बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteआपने मेरी भावना को अपने अंतर्मन मे स्थान दिया.. मे रा सौभाग्य!!अपना आशीर्वाद बनाए रखिये!
Deleteआशाओं का विवध चित्रण करती सुंदर कविता! बहुत बधाई सविता जी!
ReplyDeleteदोनों कविताएँ बहुत सुंदर प्रीति जी, विशेषकर 'सोनचिरैया' बहुत ही प्यारी !
बहुत बधाई आपको!
~सादर
अनिता ललित
हम बेटियाँ एक दूसरे की खूब समझती हैं... स्नेह के लिए आभार।
Deleteसविता जी एवं प्रीति जी बहुत सुन्दर सृजन किया है आपने।बहुत-बहुत बधाई ।
ReplyDeleteतहे दिल से आपका शुक्रिया सुरंगमा जी!
Deleteसभी कविता प्रेमियों को सादर धन्यवाद |
ReplyDeleteसविता जी और प्रीती जी आप दोनों की ही रचनाएँ बहुत बेहतरीन हैं, हार्दिक बधाई आप दोनों को...|
ReplyDeleteप्रियंका जी स्नेह जे लिए धन्यवाद
Deleteतीनों रचनाएँ बेहद भावपूर्ण, सविता जी और प्रीति जी को बधाई.
ReplyDeleteजेन्नी जी आपके मुँह से तारीफ विशेष महत्व रखती है, बहुत बहुत आभार!
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (05-08-2019) को "नागपञ्चमी आज भी, श्रद्धा का आधार" (चर्चा अंक- 3418) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका बहुत बहुत धन्यवाद शास्त्री जी, आपने मेरी रचना को अपनी चर्चा में सम्मिलित किया,आपका आभार!
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ReplyDeleteदोनों ही रचनाएँ बहुत सुन्दर…. प्रीति जी, सविता जी को बहुत-बहुत बधाई !!
धन्यवाद ओंकार जी!
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