1-आशा-दीप जले
डॉ योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’
आशा-दीप जले जो मन में,
दीपित यह जग हो जाए।
कर्म सभी को गति देता है,
विश्वास ह्रदय में भर देता।
दूर निराशा भागे पल में,
अमृत मन को कर देता।।
दूर निराशा भागे पल में,
अमृत मन को कर देता।।
कर्म-मन्त्र जो मिले जगत को,
अमृत यह जग हो जाए।
अमृत यह जग हो जाए।
स्वार्थ ख़ुशी देंगे जीवन में,
लेकिन मुक्ति नहीं पाओगे।
सुख औरों को दोगे जब भी,
स्वयं देवता बन जाओगे।।
लेकिन मुक्ति नहीं पाओगे।
सुख औरों को दोगे जब भी,
स्वयं देवता बन जाओगे।।
परोपकार जो आए मन में,
उपकृत यह जग हो जाए।
उपकृत यह जग हो जाए।
याद वही आते हैं जग में,
जो औरों को सुख देते हैं।
सबको अमृत बाँट रहे हैं,
विष सारा खुद ले लेते हैं।!
सबको अमृत बाँट रहे हैं,
विष सारा खुद ले लेते हैं।!
यही भावना हो जो सब की,
पुलकित यह जग हो जाए।
-0-
डॉ योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ ,पूर्व प्राचार्य,74/3,न्यू नेहरू नगर,रुड़की-247667
पुलकित यह जग हो जाए।
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डॉ योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ ,पूर्व प्राचार्य,74/3,न्यू नेहरू नगर,रुड़की-247667
-0-
2-
*अहसास -ए -अल्फाजः एक दृष्टिपात:
डॉ.पूर्णिमा राय
कवि मन की कल्पना जब वैयक्तिकता की परिधि से ऊपर उठकर सामाजिकता की ओर अग्रसर होती है तो हृदय में व्याप्त अहसास शब्दों के रूप में कागज़ पर उतरने हेतु व्याकुल हो जातें हैं।मीनाक्षी सुकुमारन रचित काव्य संग्रह मात्र शब्दों का ताना बाना नहीं है ,वरन् समय ,स्थान एवं परिस्थितिजन्य भावनाओं का प्रस्फुटन है।बाल्यावस्था से यौवनावस्था की पगडंडी पर चलते हुए मार्ग की बाधाओं का सामधा करते हुए लेखन को शिथिल न होने देना,वरन् और दृढ़ता से अपने अहसासों को संजोना ,इस काव्य संग्रह की महती विशेषता है।
* बातों में सरलता,वाणी की मिठास,अपनापन ,प्रथम भेंट में दूसरों को अपना बना लेना मीनाक्षी जी में विशेष गुण हैं।वाट्स एप के माध्यम से हुई भेंट ने एवं उनके काव्य संग्रह की रचनाओं ने मुझे अपनी बात रखने को बाध्य कर दिया।प्रस्तुत संग्रह की प्रत्येक रचना परिपूर्णता लिये हुए है।चाहे वह इस संग्रह की प्रथम कविता "ख्वाब या हकीकत" हो अथवा अंतिम कविता" कैसे कह दूँ हो"?
*प्राकृतिक छटा बिखेरती रचनाएँ सड़क और मैं, प्यार के फूल,दो किनारे ,बारिश की बूँदें,सूखा पत्ता,शीशे सा दिल,हैरान है कुदरत भी,बिखरे सपने,आदि बहुत ही सुंदर एवं संदेशपरक रचनाएँ लगीं।ये अतुकांत कविताएँ अपनी सरसत और सहजता से पाठक को आकर्षित करती हैं।जिस तरह मानव जीवन में हालात सदैव एक जैसे नहीं रहते,वैसे ही इस संग्रह की रचनाएँ विविध विषयों को आत्मसात किए हुए हैं।आज समय की माँग है ...बेटी बचाओ।मीनाक्षी जी ने इसे महसूस किया और बेटी पर लिख डाली रचना।जो "बेटी बचाओ--बेटी सजाओ" क्षणिका के माध्यम से वर्णित है।
*"बेवफा "कविता की निम्न पंक्तियाँ वर्तमान जीवन में प्रेम में मिली बेवफाई का सटीक उदाहरण है...
*अच्छा ही हुआ जो
दे दिया नाम बेवफा का तूने
हम तो यूँ ही जोड़ने लगे थे
दिल को दिल से!!
*नारी जीवन की सार्थकता को बड़े ही भावपूर्ण रूप से नारी हूँ नारी ही कहलाऊँ कविता में मीनाक्षी जी दर्शाती हैं।यद्यपि यहाँ उन्हें ऐतिहासिक नारी पात्रों का स्मरण रहा है
तथापि वह केवल सीता ,मीरां,राधा ,गांधारी,लैला
सोहनी ,देवी आदि बनने को आतुर नहीं ,वरन् एक सामान्य नारी के मान सम्मान ,हक व प्रतिष्ठा की बात करतीं हैं। " टूटन " कविता रिश्तों में आई दरारों से उत्पन्न दर्द को भोगती मीनाक्षी जी नजर आती है...
"आँख में आँसू हैं
दिल में दुआ फिर भी
हुआ आज फिर खून रिश्तों का
जिसे सींचा था अपने दिल से!!"
*वाईस पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित अहसास- ए-अल्फाज़ 104 पृष्ठों का संग्रह है। इसमें सम्मिलित अतुकांत रचनाओं को ऋषि अग्रवाल जी ने बड़ी ही खूबसूरती से संजोकर रखा हैं जिससे हर रचना की गुणवत्ता का अंकन सहजता से किया जा सकता है।
समीक्षक
डॉ.पूर्णिमा राय,शिक्षिका एवं लेखिका(अमृतसर)
Managing Editor,Business Sandesh Magzine
Delhi.
drpurnima01.dpr@gmail.com
अत्यंत सुंदर एवं सही राह दिखाती रचना आ. अरुण जी !
ReplyDelete'अहसास-ए-अलफ़ाज़' नाम से ही प्रतीत होता है कि इसकी कविताएँ मन के कोमलतम एहसासों से सराबोर होंगीं ! सुंदर समीक्षा के बहुत बधाई डॉ. पूर्णिमा राय जी!
आ. मीनाक्षी सुकुमारन जी, काव्य-संग्रह के प्रकाशन हेतु आपको हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ !!!
~सादर
अनिता ललित
thanks anita ji
Deleteआ.अरुण जी सुंदर गीत, बधाई।
ReplyDeleteआ. पूर्णिमा जी समीक्षा से पुस्तक के लिए जिज्ञासा बढ़ गई। आ. मिनाक्षी जी हार्दिक बधाई "अहसास -ए-अल्फ़ाज़ के लिए।
आ.अरुण जी की गीत वास्तव में परोपकार की भावना ,कर्म-मंत्र से आगे बढ़ने को प्रेरित करता है। बहुत -बहुत बधाई हो!
ReplyDeleteपूर्णिमा जी द्वारा की गई पुस्तक समीक्षा बहुत भावपूर्ण बन पड़ी है। सुंदर से अल्फाजो में आपने तो सचमुच 'अहसास ए अल्फ़ाज़ ' सार्थक कर दिया है। काव्य संग्रह की पुस्तक के लिए व उतनी ही भावपूर्ण समीक्षा के लिए मीनाक्षी जी व पूर्णिमा जी आप दोनों ही बधाई की पात्र हैं।
ReplyDeletebahut bahut aabhar..Prerna ji
DeleteRespected Arun ji,
ReplyDeletebahut sunder baavon se saji hue rachna ke liye hardik badai...
अरुण जी की सकारात्मक रचना गागर में सागर भर दिया ।
ReplyDeleteअहसास ए अल्फाज की कवयित्री मीनाक्षी जी , समीक्षक पूर्णिमा जी को बधाई ।
अरुण जी की सकारात्मक रचना गागर में सागर भर दिया ।
ReplyDeleteअहसास ए अल्फाज की कवयित्री मीनाक्षी जी , समीक्षक पूर्णिमा जी को बधाई ।
आ.अरुण जी सुंदर गीत, बधाई।
ReplyDeleteआ. पूर्णिमा जी समीक्षा से जिज्ञासा बढ़ गई ...पुस्तक पढनें की । आ. मिनाक्षी जी बहुत -बहुत बधाई हो"अहसास -ए-अल्फ़ाज़ के लिए।
सुन्दर भावों से परिपूर्ण रचना ...आ.अरुण जी के प्रति सादर नमन वंदन !
ReplyDeleteसुन्दर ,सार्थक समीक्षा ...मीनाक्षी जी एवं डॉ. पूर्णिमा जी को हार्दिक बधाई !!
सकारात्मक ऊर्जा से भरी इस रचना के लिए बहुत बधाई अरुण जी...|
ReplyDeleteजैसा कि नाम से लग रहा, मीनाक्षी जी का यह काव्य संग्रह बहुत बेहतरीन होगा | पूर्णिमा जी को इतनी सार्थक समीक्षा के लिए बधाई , मीनाक्षी जी को शुभकामनाएँ...|
पूर्णिमा जी बहुत सार्थक समीक्षा हार्दिक बधाई ,मीनाक्षी जी हार्दिक बधाई
ReplyDeleteआदरणीय अरुण जी भावपूर्ण रचना
अरुण जी, बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना। सुन्दर सार्थक समीक्षा पूर्णिमा जी....आप दोनों को मेरी हार्दिक बधाई!
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