[ चन्द्र कुँवर बर्त्वाल
जन्म: 21 अगस्त, 1919, स्वर्गवास: 14 सितम्बर, 1947
जन्म: 21 अगस्त, 1919, स्वर्गवास: 14 सितम्बर, 1947
जन्मभूमि: पानवलिया (मालकोटि), रुद्र प्रयाग , गढ़वाल
कुछ प्रमुख कृतियाँ :गीत माधवी, विराट ज्योति,कंकड़-पत्थर, पयस्विनी,जीतू, मेघ
नंदिनी ।]
डॉ कविता भट्ट
विरक्ति उसे मान प्रतिष्ठा
से
बस सरस्वती में निष्ठावान्
सरस्वती का प्रखर पुत्र वह
धन समृद्धि से वैरागी था
बुग्यालों में विरह जिया
वह
नदी झरनों में उसका रुदन
झरा
उन्मत्त हिरन से मन ने
उसके
शैल, पुष्प, लता शृंगार किया
धवल शिखर से गाया उसने वह
प्रेम गीत का वादी था
सिखलाने को सत्व प्रेम
समाश्रित
वह इस पुण्य हिमधरा पर आया
हिम का आलिंगन, धरा का
चुम्बन
और पक्षियों का सुन्दर
मंगल गान
अल्प कल रहा फिर भी वह
जीवंत कल्पशक्ति उन्मादी था
उसके छंदों की अनुपस्थिति से
सूखी नदियाँ पतझड़ नंदन वन
रूखी हो गयी सरित वाहिनी
सूने बसंत पावस और ऋतु
परिवर्तन
प्रेमी संन्यासी और वियोगी वह नीर समीर प्रतियोगी था
जीवन गान पढ़ाने आया था
अध्यात्म, प्रेम, निष्काम
कर्म
कर्त्तव्य, बोध विस्तृत
धर्म
वह पाठ भी था पाठशाला भी
मंद सुगंध सुदूर शैल मंदिर
में वह प्रतिष्ठापित योगी था
अब भी है गा रहा निरंतर
सागर का विस्तार गगन तक हे
प्रिय सागर का विस्तार
क्षण पल मृदु कण सत्व
समाश्रित कुछ अनंत और शेष अपार,
बूँद निरर्थक नहीं प्रेम
की हे प्रिय मोती सीप अपार
कोष -कोष में बादल
प्रतिफल हे प्रिय अमृत के अम्बार
न सीमा न बंधन इसके, मेरे
मन से तेरे मन तक जीवन के प्रसार
सागर का विस्तार गगन तक हे
प्रिय सागर का विस्तार
-0-
सुंदर कविता!
ReplyDeleteनमन! श्रद्धांजलि !!!
~सादर
अनिता ललित
Bahut sundar.... Sachchi shranddhanjali Kavita Ji
ReplyDeleteachhi lagi rachna meri badhai ...
ReplyDeleteकर्त्तव्य, बोध विस्तृत धर्म
ReplyDeleteवह पाठ भी था पाठशाला भी
मंद सुगंध सुदूर शैल मंदिर में वह प्रतिष्ठापित योगी था
sundar rchna , saargarbhit shabda vli
badhai डॉ कविता भट्ट
सुन्दर रचना। बधाई!!!
ReplyDeletesadar naman evam dhanyavad aap sabhi snehi jano ka,
ReplyDeleteDr.Kavita bhatt, srinagar garhwal, uttarakhand
बहुत सुन्दर रचना....कविता जी बधाई!
ReplyDeleteNice expressions !!
ReplyDeleteLove this didi. Congrats
ReplyDeletebahut sundar kawita ..!!
ReplyDeletesundar shrddha suman ...saadar naman !
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteनदी झरनों में उसका रुदन झरा
ReplyDeleteउन्मत्त हिरन से मन ने उसके
शैल, पुष्प, लता शृंगार किया बहुत सुन्दर उदगार | नमन श्रद्धांजलि
सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteकविता जी बहुत हिय उदगार दर्शाती कविता है |हार्दिक बधाई |नमन और श्रद्धांजलि|
ReplyDeleteBahut shaandar
ReplyDeleteVery nice I salute that great soul
ReplyDeletesunder rachana kavita ji. badhai.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना...उन्हें सादर नमन...
ReplyDeletebahut sundar!....unhen sadar naman
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