हाइगा वीथि -
भावना सक्सैना
शब्दों
और चित्रों के अद्भुत संगम व समायोजन से बने भावों के समंदर में डूबकर निकली हूँ
आज। यह समंदर है सुप्रतिष्ठित कवयित्री रेखा रोहतगी जी की नवीनतम काव्यकृति हाइगा
वीथि।
हाइगा
अर्थात दो कलाओं का अद्भुत मेल, सरल चित्रों से शब्दों का संयोजन। जापनी कविता की एक समर्थ विधा हाइकु का सचित्र रूप। जैसा सत्रहवीं शताब्दी के जापानी कवि मात्सुओ बाशो ने लिखा था – प्रकृति को समर्पित
हो, प्रकृति में लौटो (Submit to nature, Return to nature); यही इस वीथि का मूल भाव है, जिस तरह हाइकु कम शब्दों(5-7-5)
में एक सशक्त अभिव्यक्ति करता है उसी प्रकार हाइगा का चित्र भी सीमित रेखाओं में
गहनतम भावों को समेटता है।
हाइगा
वीथि एक अनुपम प्रस्तुति है, गणपति वंदन के बाद माँ भारती का आशीर्वाद लेकर शुरू
होती वीथिका सृष्टि, वृष्टि से होकर गुज़रती, खेवैया से जर्जर नैया को बचाने
की गुहार लगाती जहाँ एक ज़िन्दगी की कहानी कह देती है –
बाती- सा मन/ जल जल के जिया/ पिघला तन;
वहीँ
अपने अस्तित्व का भी बोध दिखाती है और कहती है,
मैं न वो धारा/ समा
सिन्धु जिसका/ जल हो खारा।
वह
अनुपमा है जिसकी उपमा नहीं कोई और नारी मन के प्रश्न को बड़े सुन्दर शब्दों में
रखती है-
तुमको पाया/ स्वयं को
हारकर/ जीती या हारी?
जिंदगी के लगभग हर रंग को समेटे यह पुस्तक सकारात्मक सोच से लबरेज़ है। रेखा जी कहती हैं –
जिंदगी के लगभग हर रंग को समेटे यह पुस्तक सकारात्मक सोच से लबरेज़ है। रेखा जी कहती हैं –
खोज लेती है/ हर दिशा
में राह/मन की चाह।
रेखा
जी के हाइकुओं को हाइगा रूप देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।शचि शर्मा जी ने और रेखा जी के शब्दों में
ही कहा जाए तो वह एक एक हाइकु के कथ्य-तथ्य-सत्य की संवेदना को ग्रहण कर हाइकु
मर्मज्ञ हो गई ।
पुस्तक
में शामिल 71 सचित्र
हाइकु मन के भावों की प्रभावशाली अभिव्यक्ति है जैसा उन्होंने
स्वयं भूमिका में लिखा है –‘जब जब आँख खोलकर आसपास
देखा, तो उस अनूठे विलक्षण स्रष्टा की छोटी से छोटी रचना में
उसके विराट स्वरूप की झलक पाई तो इतना जान पाई कि मन का कोई भी भाव ऐसे नहीं है, जो आकार में न बँध पाए। हर पृष्ठ पर उकेरी
आकृतियों में इन भावों की अनुपम प्रस्तुति है।
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आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (21.08.2015) को "बेटियां होती हैं अनमोल"(चर्चा अंक-2074) पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteकवयित्री रेखा रोहतगी जी कीकाव्यकृति हाइगा वीथि aur भावना सक्सैना ji ne sundr smikshaa ke lie badhaai .
ReplyDeletevishv ke saahity shikhr pryh kriti mil kaa ptthar ba ne .
रेखा जी की सुन्दर काव्य कृति पर भावना जी की समीक्षा के लिए बधाई |
ReplyDeleteयह उत्कृष्ट पुस्तिका मुझे भी प्राप्त हुई है| इसके लिए रेखा रोहतगी जी एवं काम्बोज सर का दिल से आभार|
ReplyDeleteपुस्तक बहुत मनभावन है| हाइकु ,चित्र का साथ पाकर जीवंत हो उठा है|
सुन्दर समीक्षा के लिए भावना जी को बधाई !
अनुपम हाइगा प्रस्तुति और ख़ूबसूरत समीक्षा के लिए रेखा रोहतगी जी तथा भावना जी को हार्दिक बधाई!
ReplyDeleteभावना जी
ReplyDeleteसधे हुए शब्दों मेंअति सुन्दर सटीक समीक्षा ने हाइगावीथि
को जो गरिमा प्रदान की है उसके लिए हृदय से आभार ।
सुंदर पुस्तक की सुंदर समीक्षा!
ReplyDeleteरेखा रोहतगी जी एवं भावना सक्सैना जी को बहुत-बहुत बधाई!!!
~सादर
अनिता ललित
pustak,samiksha dono hi bahut achhe hain meri badhai...
ReplyDeletebahut sunder sameexa hai.
ReplyDeletepushpa mehra.
sundar pustak par saargarbhit prastuti ...rekha ji evam bhavana ji ko haardik badhaii
ReplyDeleteये पुस्तकें मुझे भी मिली...मिलते ही छिन गयी...| मेरी एक सहेली इन पुस्तकों से इतना आकर्षित हुई कि तुरंत मुझसे ले गयी...| अब हाल में ही बहुत तारीफ़ करते हुए पुस्तके वापस की हैं...|
ReplyDeleteसमीक्षा बहुत अच्छी है...| हार्दिक बधाई...|
सुंदर समीक्षा.
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