1- ताप सघन है
निर्देश निधि
ताप सघन है
गौरैया बना रही है रेत में समंदर
नहा रही है डूब- डूब
रख दूँ परात में पानी
कि सूरज का ताप सघन है
सरसों की पीली कनातें सिमट गई हैं खेत से
अब आ पसरी हैं घेर की गोदी में
उसके महीन, पीले दानों वाली नदी
कि सूरज का ताप सघन है
खेत की मेढ़ बाँधते
बाबा की कनपटी से रिस रहा है पसीना
या है यह मेहनत का अजस्र सोता
सिर बँधा गमछा भिगो दूँ
कि सूरज का ताप सघन है
सरसों की सूखी लकड़ियों में अम्मा
सेक रही है पानी के हाथ की रोटियाँ
उसके गालों पर उग आए हैं दो दहकते सूरज
लगा दूँ प्यार की बरफ उन पर
कि सूरज का ताप सघन है
बाबा ने बो दिए हैं बीज ईख के
धरती की कोख में
सह नहीं पाएँगे वे घुटन देर तक
जल्दी ही चमकाएँगे मुँह कुलबुलाते, इतराते
धरती की सतह पर
कि सूरज का ताप सघन है
सोना बन गई हैं गेहूँ की सब बालियाँ
करधनी बनकर सज गई हैं खेत के कूल्हे पर
अब भरेंगे भंडार माँ के
घड़ौंची तले की ठंडी दूब पर पसरा रहेगा दिन भर शेरू
कि सूरज का ताप सघन है ।
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2-श्रद्धा और मनु की संतानों
- निर्देश निधि
श्रद्धा और मनु की संतानों
इस निरीह पृथ्वी पर तनिक दया करो
तुम बीज की तरह फूटे इसी की कोख में
इसी की कोख में रखकर परमाणु बम
करते हो इसका अंतस् घायल
इस ग्रहों से लदे ब्रह्मांड में सदियों
से भटक रहे हो
पर नहीं खोज पाए पृथ्वी की कोई दूसरी
बच्ची
कोई दूसरी सहोदरा, कोई दूसरी सखी
दया करो इस इकलौती पर
दया करो खुद पर
श्रद्धा और मनु की संतानों
कुछ तो दया करो अपनी आने वाली संततियों
पर भी
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बहुत सुंदर कविताऍं, हार्दिक शुभकामनाऍं ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविताएँ।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई आदरणीया 💐🌹
सादर
बहुत सुंदर कविताएँ
ReplyDeleteहार्दिक बधाई आदरणीया 💐🌷
सादर
बहुत सुंदर कविताएँ...हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteसृष्टि की चिंता करती दोनों भावपूर्ण कविताएँ। बधाई।
ReplyDeleteताप सघन है कविता गहरे ताप में शीतल फुहार सी है जबकि श्रद्धा और में की संतानों में आने वाली पीढ़ियों के लिए गहरी चिंता है।सशक्त कविताएं।निर्देश निधि जी को बधाई।
ReplyDeleteसुन्दर सृजन
ReplyDeleteअत्यंत भावपूर्ण एवं प्रश्न करती कविताएँ 🌹😊🙏🏻
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण कविताएँ।हार्दिक बधाई ।सुदर्शन रत्नाकर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर , चित्र उकेरती कविताएँ । हार्दिक बधाई । आँचलिक शब्दों से खूबसूरती
ReplyDeleteबढ़ गई है ।
विभा रश्मि दी
ताप सघन है कविता के लिए हार्दिक बधाई। ऐसी कविता कभी-कभी ही बन पाती है। लिखते रहिए-अनंत शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteदोनों रचनाएँ अत्यन्त प्रभावपूर्ण है।हार्दिक बधाई निर्देश निधि जी।
ReplyDeleteदोनों रचनाएं बहुत ही सुन्दर हार्दिक बधाई आपको।
ReplyDeleteदोनों कविताएँ बहुत सुन्दर और सार्थक. आप दोनों को हार्दिक बधाई.
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