पथ के साथी

Monday, October 16, 2023

1378-चिकौटियाँ

 

1- हथकटी ठाकुर

 


 

छुट्टी वाले दिन
जब पतिदेव
हर घंटे दो घंटे बाद रह-रहकर बोलें-'तुम्हारे हाथों की बनी हुई चाय पीने का मन कर रहा है'
'गरमागरम कॉफी पीने को जी मचल रहा है
सच बता रहें हैं हम-
हमारी आत्मा
कह उठती है-
हे प्रभु!
हमें 'शोले पिक्चर' वाले 'ठाकुर साहब' क्यों नहीं बना देते आप?
'हथकटी ठाकुर लिली की गुहार'

-0-

 2- हॉलोविन की डायन



 

सुनो लड़कियो! शायरों से खुद को बचाकर रखना,

बहुत ही 'डेंजरस प्रजाति' हैं- रे बाबा!

एक शायर साहब ने कहा है -
'चाँद शरमा जाएगा, चाँदनी रात में
यूँ ना जुल्फों को अपनी सँवारा करो'
हैं!
...
मतलब?
...
हम बेचारी हॉलोविन की डायन बनी फिरती रहें
क्या!!

-0-

3- इज़हार-ए-ख़ौफ़

 


जैसे ही हमारे हाथ में ये पोछे वाला डंडा-बाल्टी आता है, हमारे घर के वातावरण में एक ख़ौफ पसर जाता है,
और फिर बजता है, बैकग्राउंड में स्पॉटीफाई (म्यूजिक ऐप) पर बारम्बार 'सुधा रघुनाथन' की आवाज में-
'भो शम्भू
शिव शम्भू
स्वयं भो,'
ढिढिंग ढिढिंग मृदंगम् की जबरदस्त ऊर्जा से भरपूर स्वर संगीत- लहरी पर एकदम तांडवीमुख मुद्रा लिये पोंछा मारते हुए, हम! सामने कोई आ जाए, उस वक्त तो एक जोड़ी ज्वलंत दृष्टि से- ढाँय...
एकदम्म फायर!!


एक दिन बिचारे हमारे पतिदेव ने 21 वर्ष बाद हमसे कबूला कि सुनो लिली, तुम्हारे इस अवतार को देखकर हम डर के मारे काँप जाते हैं, भीतर तक।

अरे बता नहीं सकते आप लोगों को, के हम केतना खुस हुए ये 'इजहारे- ख़ौफ' सुनकर
सच्ची!
तो बोलो-

भो शम्भो, शिव शम्भो, स्वयंभो

भो शम्भो, शिव शम्भो, स्वयंभो
गङ्गाधर शंकर करुणाकर मामव भवसागर तारक...।

-0-

 4- लिलीबाण नुस्खे

 


 

 

बहुत बड़ा पहाड़- सा लक्ष्य साधने के लिए कभी-कभी मेहनत, लगन, एकाग्रता, तत्परता, जैसे प्रेरणाप्रद, जोशीले, चॉकोलेटी मनोभावों के साथ कुछ 'कड़वे करेले-दूजे नीम चढ़े 'जहर मनोभावों का सम्मिश्रण करना परमावश्यक हो जाता है, जैसे- बेवजह पतिदेव से झगड़ लेना, अपनी गलतियों का दोषारोपण उन पर लगाना, सामान्य सी बातों का बतंगड़ बनाकर तू-तू, मैं-मैं का परिवेश निर्मित करना। इससे होगा यह कि आप तिड़कती -भिड़कती उठेंगी क्रोध के आवेश में सिंक में ढेर लगे बर्तन फटाफट निकल जाएँगे, उबलते गुबार में तन का सारा आलस्य रफूचक्कर हो जाएगा कुछ देर पहले तक फैले घर के सारे कामों को निपटाने का पहाड़- सा लक्ष्य झटपट निपट जाएगा।

रही बात पतिदेव के बिगड़े मिजाज ठीक करने की... एक कप गरम चाय / कॉफी बनाइ
बेवजह झगड़े की वजह बताइए... अपनी गलतियों का दोषारोपण उन पर से हटाइए और तनावपूर्ण स्थिति को नियंत्रण में लाइ

( आवरण एवं सभी रेखाचित्र;सौरभ दास)



25 comments:

  1. 😂😂 ये भी खूब रही

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  2. सादर धन्यवाद एवं आभार सर 'गपाष्टक' की रचनाओं को स्थान देने के लिए🙏

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  3. गजब, हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  4. अरे वाह ! बहुत बढ़िया .. ये चिकोटियाँ सच मे हँसी की चिकोटियाँ ही काटती हैं :-) बहुत बढ़िया प्रस्तुति लिली जी की। बधाई हो

    मंजु मिश्रा
    www.manukavya.wordpress.com

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  5. वाह ! बहुत सुंदर 😀

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  6. गुदगुदाती हुई चिकोटियाँ, और संग अति सुंदर चित्रकारी, बधाई लिली जी, सौरभ जी!

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  7. बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति...बहुत बधाई।

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  8. अद्भुत संरचना और कल्पना । जी भर कर हँसी आई । आभार ।
    शशि पाधा

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  9. वाह!गुदगुदाती हुई चिकौटियाँ! बहुत सुन्दर। बधाई।

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  10. लिली जी बहुत बढ़िया मज़ेदार चिकोटियाँ रची हैं साथ ही सौरभ जी की चित्रकारी का जवाब नहीं । मन गद गद हो गया। बधाई स्वीकारें। सविता अग्रवाल “ सवि”

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    1. सराहना हेतु धन्यवाद सविता अग्रवाल जी🙏

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  11. बहुत बढ़िया! अभिव्यक्ति का यह अनोखा रूप बहुत अच्छा लगा! चित्रकारी भी बहुत बढ़िया!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  12. चेहरे पर मुस्कान लातीं बहुत सुंदर चिकोटियाँ। हार्दिक बधाई। सुदर्शन रत्नाकर

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  13. वाह आपने कितने सुंदर तरीके से जीवन के छोटे-छोटे पहलुओं को प्रस्तुत किया है।आपकी लेखनी को नमन।

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  14. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  15. मज़ा आ गया !
    बहुत ही बढ़िया चिकौटियाँ
    बधाई आदरणीया

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