पथ के साथी

Tuesday, July 20, 2021

1115- मैं अकेला ठूँठ

 


25 comments:

  1. सुंदर, भावपूर्ण कविता!हार्दिक बधाई!

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  2. वाह •••सर ! बेहतरीन ।

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  3. बेहतरीन भावपूर्ण काव्य 🙏🙏

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  4. उत्कृष्ट अभिव्यक्ति, हार्दिक बधाई।

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  5. वाह, बहुत अच्छी।

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  6. वाह।
    अनुपम भावाभिव्यक्ति।
    हार्दिक बधाई आदरणीय।

    सादर

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  7. अति सुंदर भावपूर्ण रचना। हार्दिक बधाई ।

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  8. जीवन के कठिन पलों में मुस्कुराना यानि आशावादी दृष्टिकोण लिए सुंदर कविता-बधाई।

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  9. अत्यंत मार्मिक, उत्कृष्ट रचना !
    आपकी रचना से प्रेरित स्वतः स्फ़ूर्त -

    ठूँठ !
    तुम अकेले होकर भी
    अकेले कहाँ
    कितने ही लघु जीवों का
    आश्रय हो
    तुमसे लिपटकर
    निश्चिंत हो कर
    दिन भर के श्रम के बाद
    मिटाते हैं थकान
    ले लेते हैं मीठी नींद

    एक नई भोर
    थपकी देकर
    जगाती है तुम्हें
    ठीक बचपन
    और यौवन की तरह
    सूरज भी
    बिना किसी भेदभाव
    सबकी तरह
    तुम्हें भी देता है धूप-रौशनी
    चाँद भेजता है चाँदनी
    जो मखमली छुवन से
    हरती है तुम्हारा ताप-सन्ताप
    ठूँठ!
    तुम अकेले कहाँ ?

    तुम्हारी छाल की आँच में
    पकी रोटियाँ
    बचाए रखती हैं
    कई ज़िंदगियाँ
    ठिठुरते पाले में
    पाला होती झोंपड़ियाँ में
    तुम्हारी छाल की आँच
    बचा लेती है कई ज़िंदगियाँ

    तुम्हारा त्याग अनमोल है ठूँठ
    विरल है
    मिटने से पहले
    किसी फूस की छत की
    बल्ली बन
    दोगे पिता सा साया
    बरसों बरस
    अंत में
    जब जलाए जाओगे
    किसी अलाव, चूल्हे या तंदूर में
    तो भोजन के साथ
    बँटेगा तुम्हारा स्नेह
    ढेर सी आशीषें
    जो निश्चित ही फलेंगी
    और फलोगे तुम
    उस स्नेह में
    उन आशीषों में
    तुम अकेले कहाँ
    कितनी यादें हैं तुम्हारे साथ
    कितनों की यादों में हो तुम
    तुम दुआओं में हो ठूँठ
    तुम अकेले हो ही नहीं सकते।
    - सुशीला शील राणा

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  10. बेहतरीन अभिव्यक्ति ...🙏

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  11. भावप्रधान कविता...नमस्ते बड़े भैया🙏

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  12. मार्मिक अभिव्यक्ति!....धन्यवाद आदरणीय!

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  13. भावपूर्ण सृजन,सादर नमन।

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  14. भाई कम्बोज जी की मार्मिक होते हुए भी आशावादी कविता के लिए बधाई।सुशीला जी की कविता भी अत्यधिक सुंदर रचना है। उनको भी बधाई।

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  15. प्रेम की सघन अनुभूतियों को सुंदर प्रतीकात्मक रूप से व्यक्त करती मार्मिक कविता।सादर नमन

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  16. आदरणीय आपके लेखन में यथार्थ की धार भी है, भावनाओं की गहराई भी और कल्पना की ऊंचाई भी । ढेर सारी शुभकामनाएं ।

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  17. बहुत सुंदर, भावपूर्ण रचनाएँ।

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  18. बहुत सुंदर कविता

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  19. बहुत ही भावपूर्ण सृजन
    नमन सर एवं हार्दिक शुभकामनाएँ

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  20. भाई ! नर हो न निराश करो मन को ,
    तुम इतने लोगों के मरहम हो ,
    जो तुमको दुआ देते हैं |
    तुम ठूठ नहीं ,तुम हरे भरे हो,
    तुम फुले -फले साहित्य हृदय ,
    तुम कभी अकेले अपने को मत समझो | श्याम -हिंदी चेतना

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  21. उत्कृष्ट सृजन के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय भैया जी। 🙏🏼

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  22. अनुपम अभिव्यक्ति ....
    सादर

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  23. बहुत सुन्दरऔर भावपूर्ण कविता. बधाई काम्बोज भैया.

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