1-डॉ.पूर्णिमा राय
1
सहज भाव से सुख मिले,कब मनमाना
रोज।
बाहर काहे ढूँढता ,भीतर ही सुख खोज।।
2
बाहर काहे ढूँढता ,भीतर ही सुख खोज।।
2
रिश्ते महकें फूल -से ,दिल में हो जब प्यार।
चंदन सी खुशबू मिले ,दूर अगर तकरार।।
3
चंदन सी खुशबू मिले ,दूर अगर तकरार।।
3
भाई तेरे प्यार पर ,सौ जीवन कुर्बान।
माथे करती तिलक हूँ, पूरे हों अरमान।।
4
माथे करती तिलक हूँ, पूरे हों अरमान।।
4
उजली-उजली धूप का, छू रहा एहसास
शीत लहर का आगमन ,प्रेम भरा विश्वास।।
5
शीत लहर का आगमन ,प्रेम भरा विश्वास।।
5
नफ़रत की दीवार से,कैसे होगा पार।
पास नहीं जब प्रेम की, दौलत अपरंपार।।
पास नहीं जब प्रेम की, दौलत अपरंपार।।
-0-
2-मंजूषा मन
1.
मोती जग को बाँटती, नन्ही -सी इक सीप।
उजियारे का मोल भी, नहीं माँगता दीप।।
2.
सारा जग हर्षा रहा, कलियों का यह नूर।
पवन सुवासित कर रही, सुख देतीं भरपूर।।
3.
तृण-तृण पल-पल में रहें, मन में बसते राम।
पावन सब संसार से, राम तुम्हारा धाम।।
4.
सूरज कोने में छुपा, बैठा होकर शाँत।
सकल जीव ठिठुरे फिरें, सबके मन हैं क्लांत।।
5.
हिम कण बन गिरने लगी, हाड़ जमाती शीत।
शीतल तरल बयार भी, गाए ठिठुरे गीत।।
6.
सूरज कोने में छुपा, बैठा होकर शाँत।
सकल जीव ठिठुरे फिरें, सबके मन हैं क्लांत।।
-0-
3-सविता अग्रवाल 'सवि' (कैनेडा)
1
आसमान है सज रहा, तारों की बारात ।
पवन मगन हो नाचता, लहरें देतीं साथ ।।
मानव -जीवन बुलबुला, चार दिनों का खेल ।
बात प्रेम की बोलिए, कर लो सबसे मेल ।।
3
धर्म- दया सबसे बड़े , कर सबका उपकार ।
आएगा न दुःख कभी,
नाव लगेगी पार ।।
4
पंख
लगा कर प्रेम के, ऊँची भरो उड़ान ।
वैर-
द्वेष न संग धरो, होगा तेरा मान ।।
5
लेकर कुंजी प्यार की, खोलो मन के द्वार ।
साफ़ करो सब मैल को, करो दिल से बाहर ।।
6
सरिता देती ही रही, चलने
की ही सीख ।
पालन इसका जो करे, माँगे ना वो भीख ।।
7
राम नाम मुख से कहें, फिर भी करते घात ।
मंदिर गिरिजा बैठके , चुगली करते साथ ।।
8
कल -कल पानी बह रहा ,झरने करते शोर ।
सावन की बरसात में , बगिया नाचे मोर ।।
9
डगमग करती नाव भी ,पार लगाती छोर ।
नाविक बैठा देखता , सुख से तट की ओर ।।
4-शशि पुरवार
1
तन को सहलाने लगी, मदमाती- सी धूप
सरदी हंटर मारती,हवा फटकती सूप
2
दिन सर्दी के आ गए, तन को भाए धूप
केसर चंदन लेप से, ख़ूब निखरता रूप
केसर चंदन लेप से, ख़ूब निखरता रूप
3
पीले पत्रक दे रहे, शाखों को पैगाम
समय चक्र थमता नहीं, चलते रहना काम
4
रोज कहानी में मिला , एक नया किरदार
सुध -बुध
बिसरी जिंदगी, खोजे अंतिम द्वार
5
क्या जग में तेरा बता ,आया खाली हाथ
साँसो की यह डोर भी, छोडे तन का साथ
6
तन्हाई की कोठरी , यादें तीर कमान
भ्रमण करे मन काल का, जादुई विज्ञान
7
जीवन के हर मोड पर, उमर लिखे अध्याय
अनुभव के सब खुश रंग, जीने का पर्याय
अनुभव के सब खुश रंग, जीने का पर्याय
8
जहर हवा में घुल गया, संकट में है जान
कहीं मूसलाधार है, मौसम बेईमान
9
तेवर तीखे हो गए, अलग अलग प्रस्ताव
गलियारे भी गर्म हैं, सत्ता के टकराव
रोज समय की गोद में, तन करता श्रम दान
मन ने गठरी बाँध ली, अनुभव के परिधान
11
नजरों से होने लगा, भावों का इजहार
भूले -बिसरे हो गए, पत्रों के व्यवहार
12
तनहाई डसने लगी, खाली पड़ा मकान
बूढी साँसें ढूँढती , जीने का सामान
बूढी साँसें ढूँढती , जीने का सामान
-0-
डॉ पूर्णिमा जी, मंजूषा जी और शशि पुरवार जी सभी ने बहुत सुन्दर दोहों की रचना की है सभी को हार्दिक बधाई | मेरे दोहों को पत्रिका में स्थान देने के लिए भाई काम्बोज जी की ह्रदय से आभारी हूँ |
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीया
Delete
ReplyDeleteडॉ पूर्णिमा जी,मंजूषा जी,सविता जी एवँ शशि पुरवार जी,आप सभी का सृजन बहुत सुन्दर लगा,
बहुत-बहुत बधाई आप सभी को !
सादर आभार आदरणीया ज्योत्सना जी
Deleteआजकल कहने को तो सर्दी बेशुमार है, पर सच पूछो तो दोहों की बहार है!:)
ReplyDeleteपूर्णिमा जी, मंजूषा जी, सविता जी और शशि जी आप सब ने मिल कर खूब समां बाँघा!मेरी ओर से बधाई ।
सादर आभार आदरणीया
Deleteदोहों की बहार आई है, वाह। पूर्णिमा जी मंजूषा जी, सविता जी, शशि जी बहुत बधाई आप सभी को।
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीया अनीता जी
Deleteसुंदर सृजन और प्राकृतिक छटा बिखेरने के लिए डॉ. पूर्णिमाजी,मंजूषा जी,शशि पुरवार जी, सविता जी आप सबको हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीया सुदर्शन जी । यूं ही स्नेह छाया देती रहें
Deleteहमारे दोहों को पसंद करने और प्रोत्साहित करने के लिए सभी रचनाकार साथियों का हार्दिक धन्यवाद |
ReplyDeleteवाह! सभी दोहे एक से बढ़कर एक! हार्दिक बधाई पूर्णिमा जी, मंजूषा जी, शशि जी एवं सविता जी!
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
सादर आभार आदरणीया अनीता ललित जी
Deleteप्रिय अनुजा पूर्णिमा राय, शशि पुरवार , मंजूषा मन जी ,सविता सवि जी आप सबको मीठे दोहों के सृजन के लिए दिली बधाई ।
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीया विभा जी ,आपके स्नेह से आनंदित हूं
Deleteआप सभी माननीय मित्रों का तहे दिल से आभार
ReplyDeleteहमारे दोहों को पसंद करने और प्रोत्साहित करने के लिए सभी रचनाकार साथियों का हार्दिक धन्यवाद |
मंजूषा जी ,सविता जी,शशि जी बेहतरीन दोहा सृजन हेतु हार्दिक बधाई एवं मेरे दोहों को स्थान देकर कृतार्थ करने हेतु आदरणीय रामेश्वर सर जी साभार
ReplyDeleteसहज साहित्य को जाग्रत करने के लिए सबका आभार। -रामेश्वर काम्बोज
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