कृष्णा वर्मा
1
कैसे कह दूँ कि
थक चुका हूँ ज़िंदगी से
न जाने
किस-किस का हौसला हूँ मैं।
2
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चित्र :अक्षय अमेरिया |
तुम्हारे मुख मंडल पर
देख कर खुशी की तरंगें
पकड़ने लगती है रफ़्तार
मेरी जीवन कश्ती।
4
सीख भरे शब्द -बीजों से
उगाती है माँ
नन्हे हृदयों में
संस्कारों की खेती।
5
प्रेम को मिला था सुकून
जिस दिन बाँध ली थीं उसने
अपने पल्लू के छोर से
मेरे घर की चाबियाँ।
6
उम्मीद के पंछी को
लग जाएँगे हौसलों के पंख
जो मुस्कुराता रहा तुम्हारा स्पंदन
मेरी साँसों के सफ़र में।
7
उम्र भले जितनी चाहे बढ़ा दे
बस रखना ध्यान
बालक- सा रहे मन और
होने न पाए बूढ़ी कभी
मेरी मासूमियत की मुस्कान।
8
कलम की नोक
तपे शब्द लिखकर
पिघला देती है
पीड़ा का मौन।
9
मेघ निनादित
बरखा लहराई
यादों की कश्तियाँ
नैनों में तैर आईं।
10
मेघों की लाडली
बरसना सँभलके
सबके लिए तेरा आना
नहीं होता सुहाना
बहुतों की छत को तो
देना पड़ जाता है इम्तहान।
11
बढ़ती जाती रफ़्तार
दिखाए अजूबे
विकास की नैया में
बैठ लोग डूबे।
-0-
बहुत बहुत सुंदर क्षणिकाएं
ReplyDeleteकैसे कह दूँ कि थक चुका हूँ ज़िन्दगी से...
शानदार
अति सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteकैसे कह दूँ कि थक चुका हूँ जिंदगी से.....
सचमुच मन को छू गयी ।
बहुत ही सुन्दर क्षणिकाएँ ! कैसे कह दूँ , सीख भरे शब्द ,जीवन कश्ती ...
ReplyDeleteक्या कहिए सभी एक से बढ़कर एक , हार्दिक बधाई !
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteआप सभी मित्रों का बहुत-बहुत धन्यवाद।
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ReplyDeleteमेरी क्षणिकाओं को यहाँ स्थान देने के लिए आ० भाई काम्बोज जी का हार्दिक आभार।
Eak se badhkar eak rachna ke liye hardik badhai.
ReplyDeleteअति सुंदर क्षणिकाएँ !
ReplyDeleteकैसे कह दूँ कि थक चुका हूँ जिंदगी से.....
कमाल !
हृदय-तल से बधाई आपको कृष्णा जी !
एक से बढ कर एक। बेहद ख़ूबसूरत क्षक्षिणकाएँ ।बधाई
ReplyDeleteकैसे कह दूँ कि थक चुका हूँ ज़िन्दगी से...
ReplyDeleteबहुत सुंदर व प्रेरक। सभी क्षणिकाएं सारगर्भित।
मार्मिक रचनाकर्म, हार्दिक बधाई आदरणीया कृष्णा जी।
ReplyDeleteक्षणिकाएँ , सुन्दर , हृदयस्पर्शी शब्द चित्रण । बधाई कृष्णा जी ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना है कृष्णा जी हार्दिक बधाई हो |
ReplyDeleteसभी क्षणिकाएं बहुत सुंदर हैं...
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई
बेहतरीन क्षणिकाओं के लिए बहुत बधाई
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