रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1- प्रतिध्वनित
प्रतिध्वनित
पल -प्रतिपल
हूक तेरी घाटियों में
टेरती मुझको।
और सब सुधियाँ
मधुरता पान करके
सुनसान पथ में
हेरती मुझको।
रोज़ खुलते
खोखले सम्बन्ध
मेरे सामने,
कौन आता
हाथ मेरा थामने!
बस तुम्हीं ,
जो हर घड़ी
सोचते मुझको;
बस तुम्हीं
अनुगूँज बन जो
खोजते मुझको।
मैं मिलूँगा एक दिन
फिर से तुम्हें
मैं खिलूँगा
उर उपवन में तुम्हारे
और खुशबू बन
सरस प्राणों को करूँगा
आत्मा बन मुझे
रहना तुम्हीं में है
मैं तुम्हारे प्राण का हिस्सा
दूर रहकर भी
उजाले
द्वार पर
तेरे धरूँगा।
[4 मई 2018]
-0-
मुक्तक
इस तरह कसकर तुम्हें सीने से लगा लूँ।
कि तेरे सभी दुख मैं सीने में छुपा लूँ ।
तेरे कोमल पाँवों में कभी कुछ न
चुभे
आगे तुमसे चलूँ , मैं सब शूल हटा लूँ ।
-०-
1-निशान
शिलाओं ने जल को
जीभर पटका
बार- बार पछाड़ा
कई बार लताड़ा,
वह खिलखिलाया
तभी तो उनको
चूर -चूर कर पाया
टूटा नहीं जल
शिलाओं पर अपने
निशान छोड़ आया।
-0-
2-थिरकन
घर के हर कोने में
थिरकती ,नाचती
गाती ,गुनगुनाती
उछलती थी गुड़िया।
स्कूल क्या गई
ऐसा पाठ पढ़ाया
अनुशासन सिखाया
सब भूल गई गुड़िया
दूर कहीं
उमंग खो गईं।
-0-
3-पत्थर
बनों पत्थर
देखो न छुपकर
कि कौन क्या कर रहा
फूल को न मारो
अगर गिर गए
तो टूट जाओगे
फूल का क्या
बिखर भी गया तो
सुरभि लुटाएगा,
बीज बन बिखरा तो
फूल बन जाएगा
और पत्थर?
न बीज बनता
न खुशबू लुटाता
बस टूट- टूट जाता।
-0-
4-पानी
पानी रोता नहीं,
तुम्हारी आँखों में छलका
बहुत कुछ कह गया
अधरों पर उतरा
रस बन बह गया
बन गया लाज
सब कुछ सह गया
बना जो उमंग,
तो माना नहीं वह
हृदय में तुम्हारे
बना प्यार निर्मल
और वहीं रह गया।
-0-(मई 3, 2018)
[ चित्र -गूगल से साभार ]
उदात्त भावों से परिपूर्ण बहुत सरस रचनाएँ हैं !
ReplyDeleteसभी अद्भुत परन्तु 'निशान' और 'पानी' बेहद ख़ूबसूरत लगीं |
उत्कृष्ट सृजन की हार्दिक बधाई !!
गागर में सागर उक्ति मुझे यहाँ उपयुक्त जान पड़ती है।
ReplyDeleteसभी रचनाएँ एक से बढ़कर एक। हार्दिक बधाई महोदय।
ReplyDeleteफूल का क्या
बिखर भी गया तो
सुरभि लुटाएगा,
बीज बन बिखरा तो
फूल बन जाएगा
और पत्थर?
न बीज बनता
न खुशबू लुटाता
बस टूट- टूट जाता।
वाह।
समस्त कविताओं में गज़ब की रसात्मकता के साथ साथ उदार मन के मधुसंवाद का आलोक बिना किसी रोकटोक सहज सम्प्रेषित होता है।
ReplyDeleteकाम्बोज जी को हार्दिक बधाई।
सरल मन की पावन अभिव्यक्ति । सभी रचनाएँ अनुपम
ReplyDeleteप्रत्येक कविता एक अलग भावबोध लिये हुए कवि के भावाकुल मन की विविध भावो को अभिव्यक्त कर रही है,पानी,पत्थर और निशान कविताओं में गहन प्रतीकात्मक व्यञ्जना और तरलता है।समस्त कविताएँ उत्कृष्ट और प्रभावी है।बधाई सम्मान्य काम्बोज जी।
ReplyDeleteमन को छू लेने वाली सभी कविताएँ! अत्यंत सुंदर!
ReplyDeleteहार्दिक बधाई आदरणीय भैया जी!!!
~सादर
अनिता ललित
मैं तुम्हारे प्राण का हिस्सा
ReplyDeleteदूर रहकर भी
उजाले द्वार पर
तेरे धरूँगा।
प्रेम की ऐसी गहन अभिव्यक्ति, यही भावना तो उसे सम्पूर्ण बना देती है...| बहुत बधाई इस रचना के लिए...|
आपका मुक्तक तो मन तरल कर गया...| क्या कहूँ उसके लिए...|
क्षणिकाएँ बहुत सार्थक हैं सभी...किसी गुडिया की उमंग कभी न खोये, बस इतना ही कह सकती हूँ...|
इतनी खूबसूरत रचनाओं के लिए बहुत बहुत बधाई और आभार उन्हें पढवाने के लिए...|
बहुत ही सुंदर , बहुत ही भावपूर्ण सारे सृजन
ReplyDeleteजैसे अक्षर - अक्षर बोल रहे हो ।
नमन लेखनी को
बहन ज्योत्स्ना शर्मा जी , भाई रमेश राज जी , डॉ शिवाजी श्रीवास्तव जी बहन कमला निखुर्पा , अनिता ललित , सत्या शर्मा , प्रिय अनिता मंडा, कविता भट्ट, प्रियंका गुप्ता जी ! आपकी टिप्पणियों ने मुझको अभिभूत कर दिया . मेरा कविताओं की अपेक्षा आपकी सराहना अधिक मुग्ध कर गई . अपनी आत्मीयता इसी प्रकार बनाए रखिए. आप सब मेरी शक्ति हैं .
ReplyDeleteप्रियंका गुप्ता जी...
Deleteबस ये 'जी' हटा दीजिए...| आपका आशीर्वाद हमेशा बना रहे बस...|
मन को छूती बहुत ख़ूबसूरत रचनाएँ।
ReplyDeleteअति सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई।
उत्कृष्ट सृजन , बार -बार पढ़ने को मन करता है ।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई भैया जी 🙏🙏🙏🙏
बेहद खूबसूरत, भावपूर्ण अभिव्यक्ति। सभी उत्कृष्ट रचनाएँ मन को छू गई हैं ।सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteकम्बोज जी की रचनाएं पढकर ऐसा प्रतीत होता है कि वे उनके व्यक्तित्व की छाप हैं | सत्यं शिवं सुंदरं की भावना जाग्रत करती हैं | हृदय स्पर्शी और शांत के रस से भरी हुयी हैं | कविताएँ पढकर आनन्द की अनुभूति हुयी | श्याम त्रिपाठी हिन्दी चेतना
ReplyDeleteसभी रचनाएँ मन को भावुक कर गई, जैसे जीवन का पाठ सिखा गई. गहरे एहसास के भाव...
ReplyDeleteरोज़ खुलते
खोखले सम्बन्ध
मेरे सामने,
कौन आता
हाथ मेरा थामने!
सभी रचनाएँ एक से बढ़कर एक हैं. उत्कृष्ट रचनाओं के लिए काम्बोज भाई को हृदय से बधाई. आभार.
बेहद खूबसूरत, भावपूर्ण सभी रचनाएँ एक से बढ़कर एक। मन को छू गई।
ReplyDeleteभावना सक्सैना
अत्यंत सुन्दर रचनाएं प्रस्तुत करने के लिए आभार |मन प्रसन्न हो गया |सुरेन्द्र वर्मा |
ReplyDeleteसुन्दर भाव पूर्ण रचनायें ।बहुत बहुत बधाई ।
ReplyDeleteआपकी प्रेरक और आत्मीयता से पगी टिप्पणियों के लिए हृदय से आभार ! काम्बोज
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