1-भावना सक्सैना
गीली मिट्टी
अब जल्दी सूख जाती
है
गूँथने में ही कुछ
कमी होगी
स्निग्धता छुअन में
न हो
या हवा में कम नमी
होगी।
पकने से पहले पड़ें
दरारें जो
पकने पर और फैल जाती
हैं
भीतर की रिसन और
टूटन
खोखला तन मन करके
जाती है।
दो बूँद तरलता के
बढ़ा
क्यों न और इसको
गूँथें ज़रा
बीन दें कचरा सभी
ज़माने का
जोड़ स्नेह के अणु
-कण
नम हाथों से छूकर
फिर- फिर
ऐसे गूँथें कि सम
हो बाहर भीतर
हो नरम कि सहज ही
ढले
ताप समय का जब पकाए
इसे
पकके चमके ये फिर
सदा के लिए।
-0-
2-प्रियंका गुप्ता
करती रही रोज़
जोड़-घटाना
गुणा-भाग
जतन किए बहुत
पर फिर भी अपने हाथ
कुछ न आया
सिवाय ज़ीरो के
बहुत हिसाब-किताब लगा
लिया
ज़िन्दगी,
तेरे पास
मेरा बकाया बहुत है...।
-0-
वाह भावना जी, प्रियंका जी आप दोनों की लेखनी प्रणम्य है।
ReplyDeleteधन्यवाद अनीता जी
Delete
ReplyDeleteगीली मिट्टी
अब जल्दी सूख जाती है
गूँथने में ही कुछ कमी होगी
स्निग्धता छुअन में न हो
या हवा में कम नमी होगी। यथार्थ कहती सुन्दर रचना भावना जी हार्दिक बधाई !
करती रही रोज़ ...बहुत भावपूर्ण रचना प्रियंका जी बहुत बधाई !!
हार्दिक धन्यवाद ज्योत्सना जी।
Deleteबीन दें कचरा सभी ज़माने का
ReplyDeleteजोड़ स्नेह के अणु -कण
नम हाथों से छूकर फिर- फिर
ऐसे गूँथें कि सम हो बाहर भीतर......अति सुंदर भावना जी।
प्रियंका जी बहुत मार्मिक रचना है। बधाई !
धन्यवाद सुशीला जी
Deleteधन्यवाद सुशीला जी
Deleteभावनाजी,प्रियंकाजी बहुतसुंदर भावपूर्ण कविताएँ दोनों कोबधाई।
ReplyDeleteउत्साहवर्धन के लिए हृदय से धन्यवाद दी।
Deleteभावना जी सही कहा गीलीमिट्टी कुछ निर्मिति के लिये सहज नही तैयार होती अनुपात ठीक न हो तो यही होता है जल्दी सूखेगी ही । इसी बात को अगर हम मसाला तैयार करने बिल्डिंगे बनाने वालों के कृत्य की ओर देखें तो यही परिणाम होता है बनते बनते बिल्डिंग ढेर हो जाती हैं ।गहरे अर्थ भरी आप की कविता बहुत अच्छी लगी ।बधाई आप को नये रूपों विचारों मे कविता लिखने के लिये
ReplyDeleteऔर प्रियंका गुप्ता जी आप का हिसाब किताब भी अच्छा लगा । बधाई आप को भी ।
कमला जी धन्यवाद
Deleteकमला जी धन्यवाद
Deleteदोनो कविताएँ सार्थक एवं भावपूर्ण...भावना जी की गीली मिट्टी जीवन को संजो रही...
ReplyDeleteऔर प्रियंका की रचना आत्मवुश्वास से भरी...बधाई दोनों रचनाकारों को !
ऋता जी धन्यवाद।
Deleteऋता जी धन्यवाद।
Deleteबहुत दिनों के बाद कुछ ऐसा पढ़ने को मिला, जो कहीं गहरे तक मन को छू गया!
ReplyDeleteदोनो ही रचनाएँ बेहद सार्थक एवं सशक्त हैं. भावना जी ने मिट्टी के माध्यम से जो संदेश दिया है वो सुंदर एवं सार्थक जीवन को जीने का गुर सिखाता है
प्रियंका जी की रचना हमेशा की तरह अनूठे आत्मविश्वास से भरी हुयी ।
दोनों सखियों को सुंदर रचनाओं के लिए बहुत बहुत बधाई
मंजू जी, आपके शब्द हृदय को छू गए। धन्यवाद।
Deleteभावना जी, मिट्टी से तो पूरा जीवन ही जुड़ा है बहुत गहरे...| बहुत गहन भाव आपने बड़ी सहजता से प्रस्तुत कर दिए...| एक खुबसूरत रचना के लिए बहुत बधाई...|
ReplyDeleteआदरणीय कम्बोज जी का बहुत आभार...और आप सब को मेरा बहुत शुक्रिया...दिल से...|
धन्यवाद प्रियंका जी
Deleteधन्यवाद प्रियंका जी
Deleteबहुत सुन्दर कवितायेँ. प्रतीकात्मक रूप से इशारों में अपनी बात कहती हुईं|
ReplyDeleteसुरेन्द्र वर्मा
बहुत धन्यवाद डॉ वर्मा जी।
Deleteदोनों रचनाएँ बेहद ख़ूबसूरत ! इतनी अर्थपूर्ण कविताएँ लम्बे समय बाद पढ़ने को मिलीं! भावना जी और प्रियंका जी शुभकामनाएं!!
ReplyDeleteसराहना के लिए आभार अमित जी।
Deleteबहुत ही गहरी बातें भावना और प्रियंका जी। बधाई । सभी सदस्यों को नव वर्ष की शुभकामनाएं।
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteरचना को यहाँ स्थान देने के लिए आदरणीय भाई साहब का हृदय से आभार।
ReplyDeleteप्रियंका जी सुन्दर रचना, सच में ज़िन्दगी पर हिसाब बहुत हैं।
रचना को यहाँ स्थान देने के लिए आदरणीय भाई साहब का हृदय से आभार।
ReplyDeleteप्रियंका जी सुन्दर रचना, सच में ज़िन्दगी पर हिसाब बहुत हैं।
बहुत गहरी, सार्थक भावपूर्ण कविताएं।
ReplyDeleteभावना जी, प्रियंक जी बहुत-बहुत बधाई।
भावना जी एवं प्रियंका जी ने अपनी सुंदर एवं प्रतीकात्मक शैली में अत्यंत ज्वलंत प्रश्न उठाये हैं, बधाई एवं शुभकामना दोनों ही कवयित्रियों को
ReplyDeleteप्रियंका जी और भावना जी हार्दिक बधाई एवं शुभकामना बहुत गहरी सार्थक भावपूर्ण कविताओं
ReplyDeleteभावना जी एवं प्रियंका जी भावों कासुदर व सटीक नियोजन बधाई
ReplyDeleteभावना जी एवं प्रियंका जी भावों कासुदर व सटीक नियोजन बधाई
ReplyDeleteभावनाजी, बहुत भावपूर्ण कविता है |बहुत बहुत बधाई |
ReplyDeleteसचमुच आप दोनों की कविताएँ दिल में घर कर गई। पसन्द करने के लिए सभी संवेदनशील साथियों को बहुत -बहुत धन्यवाद !
ReplyDeleteसंवेदना,विषय और प्रस्तुति की दृष्टि से भावना जी और प्रियंका जी दोनों ही बधाई की पात्र हैं।दार्शनिक धरातल पर खड़े होकर दोनों ही अपने अपने ढंग से जीवन के रंगो का चित्रण किया है।दोनों कविताएँ सशक्त हैं
ReplyDeleteसंवेदना,विषय और प्रस्तुति की दृष्टि से भावना जी और प्रियंका जी दोनों ही बधाई की पात्र हैं।दार्शनिक धरातल पर खड़े होकर दोनों ही अपने अपने ढंग से जीवन के रंगो का चित्रण किया है।दोनों कविताएँ सशक्त हैं
ReplyDeleteभावनाजी,प्रियंकाजी बहुत सुंदर... यथार्थ कहती सुन्दर , भावपूर्ण कविताएँ.. दोनों को बधाई । सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं।
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