ग़ज़ल
1-ख़ुद से इतना प्यार न कर
-अनिता ललित
ख़्वाबों को अख़बार न कर
ख़ुद से इतना प्यार न कर।
ये जीवन इक बाज़ी है
रिश्तों को हथियार न कर।
महँगी माना खुशियाँ हैं
अश्कों का व्यापार न कर।
फूल मिलें जब राहों में
काँटों को बेज़ार न कर ।
अरमानों की महफ़िल में
ग़म का तू इज़हार न कर ।
लेकर बातों के ख़ंजर
अपनों पर तू वार न कर।
साँस-किराया
देता चल
कम-ज़्यादा तक़रार न कर।
-0-
2-भोर ठिकाना आना है
-अनिता ललित
तूफ़ानों की बस्ती में,
गहरे तम घिर आएँगे
डरकर तुम मत रुक जाना,
भोर-ठिकाना आना है।
भरम मिटाकर हर दिल से,
खोई आस जगाएँगे
नाउम्मीदी हारेगी, दिल को बस समझाना है ।
धुन्ध भरी इन राहों में,
तनिक न हम घबराएँगे
काँटे भी देंगे रस्ता ,
मंज़िल को ग़र पाना है।
कठिन घड़ी में जीवन की,
आँसू नहीं गवाएँगे
मन का बाँध गिराना है ,
आगे बढते जाना है।
नफ़रत लेकर दुनिया में,
हासिल क्या कर पाएँगे
प्यार बसा है जिस दिल में,
उसके संग ज़माना है।
पर्वत रस्ता रोकेंगे,
बादल घिर-घिर आएँगे
चीर समंदर का सीना,
नैया पार लगाना है।
बेग़ानों की बस्ती में,
अपने हाथ छुड़ाएँगे
ख़ुद में रख विश्वास सदा,
क़िस्मत से लड़ जाना है।
-0-
बहुत खुबसुरत
ReplyDeletebahut sunder.anita ji badhai .
ReplyDeletepushpa mehra.
हृदय से आभार आपका सविता मिश्रा जी एवं पुष्प मेहरा जी।
ReplyDelete`सादर
अनिता ललित
सुन्दर भावों से भरी बहुत प्यारी ग़ज़लें हैं ...
ReplyDeleteख़्वाबों को अखबार ..साँस किराया ...लाजवाब !
बेग़ानों की बस्ती में, अपने हाथ छुड़ाएँगे
ख़ुद में रख विश्वास सदा, क़िस्मत से लड़ जाना है।...बहुत सकारात्मक ,सशक्त प्रस्तुति ...!!
पहली बार में ही गज़ब का धमाका सखी ..हार्दिक बधाई .. :)
शुभकामनाओं के साथ
ज्योत्स्ना शर्मा
बहुत सुंदर !!
ReplyDeletewaah sakhi bahut sundar gajal pahali baar pahala dhamaka anant badhai , sundar gajalen hai
ReplyDeleteBahut gahan pyari lagi aapki ghazal bahut bahut badhai...
ReplyDeleteह्रदय से आभार आपका... सखी ज्योत्स्ना जी एवं भावना जी !
ReplyDeleteये स्नेह यूँ ही सदा बनाये रखियेगा। आपके प्रोत्साहन से बहुत शक्ति मिलती है!
~सादर
अनिता ललित
हृदय से आपका आभार... अमित अग्रवाल जी एवं शशि पुरवार जी !
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
ख़्वाबों को अख़बार न कर
ReplyDeleteख़ुद से इतना प्यार न कर।bahut khoobsurat ......saath hi iपर्वत रस्ता रोकेंगे, बादल घिर-घिर आएँगे
चीर समंदर का सीना, नैया पार लगाना है। ashavaad ki ore le jaati bahut hi khoobsurat rachnaaye anita ji ....aapki lekhni ko naman hai .
महँगी माना खुशियाँ हैं
ReplyDeleteअश्कों का व्यापार न कर।
बहुत सुन्दर बात...|
बेग़ानों की बस्ती में, अपने हाथ छुड़ाएँगे
ख़ुद में रख विश्वास सदा, क़िस्मत से लड़ जाना है।
सच्ची बात...|
हार्दिक बधाई...|