भाईसाहब आपका साक्षात्कार पढ़ बहुत अच्छा लगा विचारधारा और रचना का बहुत गहरा संबंध है और आपके विचार पढ़ बहुत अच्छा लगा और यह उबाऊ बिलकुल भी नहीं है धन्यवाद सादर, अमिता कौंडल
bhavon ka aesa suljha vistar kam hi padhne ko milta hai .aapne sudha ji ke sunder prashno ka mahakta huaa uttar diye hain aapne . sunder vichaon ko padha aap ki baten sabhi ko prabhavit karti hain. sudha ji ka dhnyavad ki u nhone aapke sunder vichareon se sabhi ko parichit karaya dhnyavad rachana
आदरणीय हिमांशु जी , आज हिन्दी चेतना में आपका साक्षात्कार पढ़ा.....जिसे पढ़कर साहित्य की वो गाठें जो कभी किसी को खोलनी ही नहीं आईं .....वो खुली | आपने साहित्य और लेखक के गुणों को कितनी सहजता से हमारे सामने लाकर रखा है | अब ये पढने वाले पर निर्भर है कि वह आपकी इस बातचीत से कौन से अनमोल हीरों को अपने आँचल में समेट कर ले जा सकता है | आपने सही कहा है कि काव्यनुभूति के अभाव में काव्य की रचना नहीं हो सकती | हाइकु लिखना कोई एक पंक्ति को तीन पंक्तियों में तोड़कर लिखना नहीं है | लेकिन लिखने और रचने में अंतर तो रहेगा ही | सुधा जी ने बहुत ही उम्दा ढंग से साहित्य की उलझनों को आपके सामने रखा जिनका आपने बाखूबी उत्तर देते हुए साहित्य की वो परतें खोलीं, जिनको अभी तक कभी किसी ने छुआ तक भी नहीं था |हिन्दी साहित्य को पारदर्शी बनाकर पेश किया है आपने जिसमें छल-कपट की कोई गुंजाइश नहीं है | आपने साहित्य को सरलता प्रदान की , भारी -भरकम शब्द-अर्थों से दूर रखा | आपकी जुबां से निकला हर शब्द सहेज कर रखने वाला है | इतने खूबसूरत ढंग से आपका व्यक्तित्व हमारे सामने लाने के लिए सुधा ढींगरा जी बधाई की पात्र हैं | रब से यही दुआ है कि इसी तरह हम सब का मार्ग -दर्शन करते रहें | सादर हरदीप
आपका साक्षात्कार पढ़ा. बहुत अच्छा लगा. आपके विचारों को जानने का अवसर मिला. प्रश्नकर्ता के प्रश्न और चुटीले हो सकते थे. पर फिर भी आपके उत्तर अपेक्षाकृत गहन तथा स्पष्ट थे.
बहुत सुंदर साक्षात्कार... इसी लिए तो कहते हैं साहित्य समाज का दर्पण है... साहित्य का समाज के पहलुओं से, हमारी विचारधारा से बहुत गहरा सम्बन्ध है... रामेश्वर जी का साहित्यिक योगदान तो एक धरोहर है... जो इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज रहेगा. सादर मंजु
आपका साक्षात्कार पढ़ा बहुत अच्छी लगीं आपकी निष्पक्ष बातें, गहन,गूढ,यथार्थ से ओत-प्रोत।आप जैसे लोग नये लोगों का मार्गदर्शन करते रहें तो समाज को एक स्वस्थ साहित्य की प्राप्ति होगी। मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ।
भाईसाहब आपका साक्षात्कार पढ़ बहुत अच्छा लगा विचारधारा और रचना का बहुत गहरा संबंध है और आपके विचार पढ़ बहुत अच्छा लगा और यह उबाऊ बिलकुल भी नहीं है धन्यवाद
ReplyDeleteसादर,
अमिता कौंडल
समाज की सब गतिविधियों को प्रस्तुत करता है साहित्य...
ReplyDeletebhavon ka aesa suljha vistar kam hi padhne ko milta hai .aapne sudha ji ke sunder prashno ka mahakta huaa uttar diye hain aapne .
ReplyDeletesunder vichaon ko padha aap ki baten sabhi ko prabhavit karti hain.
sudha ji ka dhnyavad ki u nhone aapke sunder vichareon se sabhi ko parichit karaya
dhnyavad
rachana
बहुत अच्छा लगा साक्षात्कार पढ़ कर..
ReplyDeleteअनेकों शुभकामनाएँ सर..
सादर.
रचनाकार ,विचार धारा,रचना धर्म तथा साहित्य के कई पहलुओं की जानकारी से पूर्ण साक्षात्कार .
ReplyDeleteआदरणीय हिमांशु जी ,
ReplyDeleteआज हिन्दी चेतना में आपका साक्षात्कार पढ़ा.....जिसे पढ़कर साहित्य की वो गाठें जो कभी किसी को खोलनी ही नहीं आईं .....वो खुली | आपने साहित्य और लेखक के गुणों को कितनी सहजता से हमारे सामने लाकर रखा है | अब ये पढने वाले पर निर्भर है कि वह आपकी इस बातचीत से कौन से अनमोल हीरों को अपने आँचल में समेट कर ले जा सकता है |
आपने सही कहा है कि काव्यनुभूति के अभाव में काव्य की रचना नहीं हो सकती | हाइकु लिखना कोई एक पंक्ति को तीन पंक्तियों में तोड़कर लिखना नहीं है | लेकिन लिखने और रचने में अंतर तो रहेगा ही |
सुधा जी ने बहुत ही उम्दा ढंग से साहित्य की उलझनों को आपके सामने रखा जिनका आपने बाखूबी उत्तर देते हुए साहित्य की वो परतें खोलीं, जिनको अभी तक कभी किसी ने छुआ तक भी नहीं था |हिन्दी साहित्य को पारदर्शी बनाकर पेश किया है आपने जिसमें छल-कपट की कोई गुंजाइश नहीं है | आपने साहित्य को सरलता प्रदान की , भारी -भरकम शब्द-अर्थों से दूर रखा | आपकी जुबां से निकला हर शब्द सहेज कर रखने वाला है |
इतने खूबसूरत ढंग से आपका व्यक्तित्व हमारे सामने लाने के लिए सुधा ढींगरा जी बधाई की पात्र हैं |
रब से यही दुआ है कि इसी तरह हम सब का मार्ग -दर्शन करते रहें |
सादर
हरदीप
आपका साक्षात्कार पढ़ा. बहुत अच्छा लगा. आपके विचारों को जानने का अवसर मिला. प्रश्नकर्ता के प्रश्न और चुटीले हो सकते थे. पर फिर भी आपके उत्तर अपेक्षाकृत गहन तथा स्पष्ट थे.
ReplyDeleteउमेश मोहन धवन
साक्षात्कार पढ़ कर अच्छा लगा.आपको शुभकामनाएं..
ReplyDeleteइस बातचीत में कई गंभीर बातों पर चर्चा हुई, अच्छा लगा.
ReplyDeleteआपकी बात और साक्षात्कार अछे लगे..सादर
ReplyDeletesakshatkar bahut rochak,tathyapurn avm vicharotejak hai.sahitya ki samajik bhumika,rachnakar
Deleteka chhand .gyan,rachna, prakriya jaise vividh vishyon per spsht ,aur satik tippni rochak aur
kabiletarif hai.Aapki uplabdhiyan hamare liye harsh avm garv ki baat hai.Badhayi avm shuvkamnayen. kranti 26.2 .2012.
बहुत सुंदर साक्षात्कार... इसी लिए तो कहते हैं साहित्य समाज का दर्पण है... साहित्य का समाज के पहलुओं से, हमारी विचारधारा से बहुत गहरा सम्बन्ध है... रामेश्वर जी का साहित्यिक योगदान तो एक धरोहर है... जो इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज रहेगा.
ReplyDeleteसादर
मंजु
आपका साक्षात्कार पढ़ा बहुत अच्छी लगीं आपकी निष्पक्ष बातें, गहन,गूढ,यथार्थ से ओत-प्रोत।आप जैसे लोग नये लोगों का मार्गदर्शन करते रहें तो समाज को एक स्वस्थ साहित्य की प्राप्ति होगी। मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDelete