पथ के साथी

Sunday, June 16, 2024

1422-पिता की चिंता

  रश्मि शर्मा

 

हममें बहुत बात नहीं होती थी उन दिनों

जब मैं बड़ी होने लगी

दूरी और बढ़ने लगी हमारे दरमियाँ

जब माँ मेरे सामने

उनकी जुबान बोलने लगी थीं

 

चटख रंग के कपड़े

घुटनों से ऊँची फ्रॉक

बाहर कर दिए गए आलमीरे से

साँझ ढलने के पहले

बाजार, सहेलियाँ और

ठंड के दिनों कॉलेज की अंतिम कक्षा भी

छोड़कर घर लौटना होता था

 

चिढ़कर माँ से कहती -

अँधेरे में कोई खा जाएगा?

क्या पूरी दुनिया में मैं ही एक लड़की हूँ।

पापा कितने बदल गए हैं,

कह रूआँसी-सी हो जाती...

 

बचपन में उनका गोद में दुलराना

साइकिल पर घुमाना

सिनेमा दिखाना, तारों से बतियाना

अब कुछ नहीं, बस यही चाहते वो

हमेशा उनकी आँखों के सामने रहूँ।

 

मेरा झल्लाना समझते

चुपचाप देखते, कुछ न कहते वो

हम सबकी इच्छाओं, जरूरतों और सवालों को ले

बरसों तक माँ सेतु बन पिसती रहीं

 

कई बार लगता-

कुछ कहना चाहते हैं, फिर चुप हो जाते

मगर धीरे - धीरे एक दिन वापस

पुराने वाले पापा बन गए थे वो

खूब दुलराते, पास बुलाते, किस्से सुनाते

माँ से कहते – कितनी समझदार बिटिया मिली है!

 

यह तो उनके जाने के बाद माँ ने बताया -

थी तेरी कच्ची उमर और

गलियों में मँडराते थे मुहल्ले के शोहदे

कैसे कहते तुझसे कि सुंदर लड़की के पिता को

क्या - क्या डर सताता है...

 

बहुत कचोट हुई थी सुनकर

कि पिता के रहते उनको समझ नहीं पाई

आँखें छलछला आती हैं

जब मेरी बढ़ती हुई बेटियाँ करती हैं शिकायत

मम्मी, देखो न ! कितने बदल गए हैं पापा आजकल !

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16 comments:

  1. बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति। ऐसे ही होते हैं सब पिता। सुदर्शन रत्नाकर

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    1. बहुत - बहुत धन्यवाद आपका !

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  2. बहुत ही सुंदर ढंग से पिता के रिश्ते को प्रस्तुत किया गया है रचना में। अत्यंत भावपूर्ण रचना के लिए बधाई। सभी को पिता दिवस की अनंत शुभकामनाएँ

    सादर
    मंजु मिश्रा
    https://manukavya.wordpress.com

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    1. जी, बहुत शुक्रिया !

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  3. बहुत सुंदर रचना है यह यथार्थ पर आधारित है। जब तक बेटियां छोटी होती है, बच्ची होती हैं तब तक पिता उनकी बहुत देखभाल करते हैं, उनके साथ खेलते कूदते हैं। जैसे ही बेटियां किशोरी होती है पिता एक दूरी बना लेता है उनसे। इस बात से मुझे हमेशा शिकायत रहती है हर पिता से मैं कहती हूं की बेटी जब बड़ी हो तो उसे आपकी और भी अधिक आवश्यकता है।
    यह बहुत सुंदर कविता आपने लिखी है आपने। आपको बधाई और साधुवाद।

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  4. सयानी होती बिटिया के पिता की स्वाभाविक चिंता और बेटी के द्वंद्व का बहुत स्वाभाविक चित्रण।हार्दिक बधाई🎉

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  5. बहुत ही सुंदर, भावपूर्ण रचना।
    बेटी के प्रति पिता की स्वाभाविक चिंता का सुंदर चित्रण।

    हार्दिक बधाई आदरणीया

    सादर

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  6. मर्म छूती बहुत सुंदर कविता

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  7. सुंदर ह्रदयस्पर्शी रचना। बधाई रश्मि जी!

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  8. अद्भुत। बहुत ही सुंदर भावपूर्ण कविता। मां पर तो अनेकों ने लिखा, लेकिन पिता पर केवल बेटियों ने लिखा है। हार्दिक बधाई सहित सादर 🙏🏽

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  9. उत्साहवर्धन के लिए आप सभी का बहुत - बहुत धन्यवाद!

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  10. शशि पाधा18 June, 2024 08:13

    भावपूर्ण रचना | सच में ऐसे ही होते हैं पिता | बधाई |

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  11. बहुत सुन्दर भाव. हार्दिक बधाई रश्मि जी.

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  12. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना...हार्दिक बधाई रश्मि जी।

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  13. पता नहीं क्यों, पढ़ते हुए बरबस आँखें भर आई... इस प्यारी रचना के लिए बहुत बधाई

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