सॉनेट /अनिमा दास
1-ऋतु
प्रियतमा
ए शिशिर. शीतल समीरण के सदा सुगंधित सप्तक
उर्वशी -उर की उष्णता.. उर्वी की उमस की गमक
वर्णवारि की वर्षा में हिम स्फटिक का श्वेत
आभूषण
क्यों लिखा कादंबरी के कज्जल पर अनंत तपश्चरण?
ए वसंत...यह पर्णपत्र है गौर गात्र का
अक्षुण्ण अक्षर
अल्प मौन.. अल्प मुखर...जैसे प्रिय का तृषित
अधर
मन पुष्करिणी के शब्द शतदल सा प्रतिबिंबित
मयंक
सौंदर्य सुरभि भर है शून्य वन सा विरहिणी का
अंक।
मधुर मृदुल मोह में प्रतीक्षा की प्रतिश्रुति
है प्रश्नपूरित
अस्तित्व का अमरत्व नहीं है अमृत अर्घ्य में
अनिमित्त
वह्निवाहक यह हृदय है तीव्र ज्वाला का आग्नेय
प्रस्तर
है अंतहीन अंतरिक्ष के असंख्य अणु का अभिसर।
वारिद्र के कंठ में पंचवर्ण की वर्णिका
..क्यों है वल्लिका!
क्यों है वैधव्य...व्यतीत यामिनी में..हे मृति
माधविका!
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2-काव्यकामिनी
व्यतीत होता है प्रकाश... तत्पश्चात् अंधकार
एक गहन श्वास लिये एक पक्ष होता व्यतीत
व्यतीत होता है कष्ट..कष्ट में मग्न स्मृति
अपार
नहीं आता द्वार पर....न प्रश्न...न उत्तर न
अतीत।
शकुंतला की विरह वाटिका में अब होते हैं कंटक
स्वर्गपथ की अग्नि में दग्ध होती...दुष्यंत की
यामा
कहाँ रही अब मधुक्षरा की सुगंध में प्रेम की
गमक!!
प्रतिश्रुति का वह क्षण...अब है वृंतरहित
पुष्प- सा।
अप्सरा सी मैं भी होती..शृंगार का रस बह जाता
बह जाती अनंतता में आयु..संग मोहिनी भंगिमा
ऋषि-नृप के हृदय कुंज में कदम्ब ही पुष्पित
होता
कादम्बरी सी मैं कुहुकती..घन-वन में होती
मंजिमा ।
तरंगिणी तीर की तरणी सी किस दिशा में बह जाऊँ
किंवदंती सी कविता में..मैं काव्यकामिनी सी रह
जाऊँ।
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दोनों रचनाएँ उत्कृष्ट है। उत्कृष्ट रचनाएँ रचने के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय 🌹🙏😊
Deleteएक दीर्घ अंतराल के पश्चात इतनी परिष्कृत और प्रांजल भाषा मे रचना पढ़ने का आनन्द लिया।सघन भावों की सूक्ष्म अभिव्यक्ति करते हुए इन सॉनेट के लिए अनिमा दास जी को बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय 🌹🙏😊
Deleteप्रतिबद्ध शैली में लिखना अपने आप में एक बड़ी चुनौती होती है, आपको इस कला में महारथ हासिल है अनिमा जी, अनेकों बधाई एवं शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीया 🌹🙏😊
DeleteAnima ji ko itni utkruth rachnaaon ke liye haardik badhaai . Savita Aggarwal 'savi'
ReplyDeleteसादर आभार Mam 🌹🙏😊
Deleteउत्कृष्ट सृजन के लिए अनिमा दास जी को हार्दिक बधाई। सुदर्शन रत्नाकर
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीया 🌹🙏😊
Deleteबेहतरीन साॅनेट रचने के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय 🌹🙏😊
ReplyDeleteप्रांजल भाषा, अति सुंदर भाव और शैली लिए उत्कृष्ट सोनेट। कितने ही कालजयी कवियों कस स्मरण करवा दिया आपने अनिमा जी । बहुत आनंद आया।
ReplyDeleteतरंगिणी तीर की तरणी सी किस दिशा में बह जाऊँ
किंवदंती सी कविता में..मैं काव्यकामिनी सी रह जाऊँ।
वाह
जी सादर धन्यवाद आदरणीया 💐🌹🙏
Deleteदोनों रचनाएँ बहुत सुन्दर. बधाई अनिमा जी.
ReplyDeleteजी Mam सादर धन्यवाद 🙏🌹
Deleteजिन शुद्ध-संस्कृत शब्दों का आपने प्रयोग किया है, वर्तमान में शायद ही कहीं पढने को मिलते हों | अच्छा लगा पढ़ कर...| बहुत बधाई
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