अनिता मण्डा
नेह -नदी का नीर हूँ, कर लो तुम स्वीकार
सूना-सूना सा लगे, नेह बिना संसार।।
सूना-सूना सा लगे, नेह बिना संसार।।
कलरव करते खग उड़ें, देते पुष्प सुवास।
धन्य भाग प्रभु ने हमें, दिया धरा पर वास।।
जाते सूरज से मिली, हुई जोगिया शाम।
घड़ी भर में सजा दिए, तारे- चाँद तमाम।।
सहमा-सहमा दिन गया, चुप सी आई रात।
दिल की दिल में सब रखें, करें न कोई बात।।
झर -झर झरती चाँदनी, भीगा हरसिंगार।
रजनी भीगी नेह से, पा प्रीतम का प्यार।।
रजनी भीगी नेह से, पा प्रीतम का प्यार।।
भोर सुहानी आ गई, डूबे तारक दीप।
कलरव कर पंछी उड़े पहुँचे गगन- समीप।।
कटे न आरी -धार से, दुख तरुवर
की डाल।
समय बड़ा बलवान है, लिख देगा सुख भाल।।
साँसें लेना कठिन है, दूषित नीर-समीर।
पेड़ काट क्यों दे रहे ,धरती माँ को पीर।।
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बहुत सुंदर दोहे अनिता। बधाई व
ReplyDeleteवाह अनीता एक से बढ़ कर एक
ReplyDeleteवाह अनीता जी सुन्दर दोहे .....बधाई
ReplyDeleteवाह अनीता जी ,बहुत खूबसूरत दोहे लिखे हैं |बधाई |
ReplyDeleteसुन्दर दोहे .....बधाई!!!!
ReplyDeleteआदरणीय मेरी रचना को यहां स्थान देने हेतु आभार।
ReplyDeleteआप सबकी टिप्पणियों हेतु आभार।
ReplyDeleteअनिता मंडा जी आप के दोहे बहुत सुंदर लगे। जाते सूरज से ले कर भोर सुहानी तक के रंग भर दिए। वातावरण की पीर भी दिखा दी। साँसे लेना कठिन है,दूषित नीर-समीर। पेड़ काट क्यों दे रहे ,धरती माँ को पीर।।
बधाई
सहमा सहमा दिन गया ...आज के जीवन में भर आये एकाकीपन की कहानी ब्याँ करता दोहा बहुत कुछ कह गया ।
ReplyDeleteबधाई सुन्दर सृजन!
सहमा सहमा दिन गया ...आज के जीवन में भर आये एकाकीपन की कहानी ब्याँ करता दोहा बहुत कुछ कह गया ।
ReplyDeleteबधाई सुन्दर सृजन!
prem ki mahima batate,prakriti ke sang ekatm hote, atankit jeevan ki vyatha kahate dohe sabhi bahut hi sunder hain .badhai.
ReplyDeletepushpa mehra.
कटे न आरी -धार से, दुख तरुवर की डाल।
ReplyDeleteसमय बड़ा बलवान है, लिख देगा सुख भाल।।
बहुत सुन्दर दोहा...अनीता मंडा जी बधाई।
bahut sundar dohe!......
ReplyDeleteकटे न आरी -धार से, दुख तरुवर की डाल।
समय बड़ा बलवान है, लिख देगा सुख भाल। ati sundar, sateek v samay ka sakratmak roop ko bakhubi darshata.....badhai ki paatr hain aap anita ji !
bahut sundar, arthpoorn dohe!
ReplyDeleteअनीता जी मन को छूते हुए दोहे ...... अति सुन्दर
ReplyDeleteदिल से दिल की बात..... सुन्दर
सभी दोहे सुन्दर हैं।
एक से बढ़कर एक दोहे अनीता जी ! मन खुश हो गया !
ReplyDeleteहार्दिक बधाई आपको!
~सादर
अनिता ललित
वाह ! बहिनजी, वाह !!
ReplyDeleteअतिसुन्दर मनभावन दोहे |
हार्दिक बधाई | विनम्र प्रणाम |
khubsurat sbhi dohe bhavon se sjaa diye , badhai .
ReplyDeleteजाते सूरज से मिली, हुई जोगिया शाम।
घड़ी भर में सजा दिए, तारे- चाँद तमाम।। vaah
नेह -नदी का नीर हूँ, कर लो तुम स्वीकार
ReplyDeleteसूना-सूना सा लगे, नेह बिना संसार।।
YE DOHA BAHUT ACHHA LAGA..BAKI SABNE BHI MAN MOH LIYA AAPKO BADHAI BAHUT SAARI..
विविध भावों से परिपूर्ण बहुत ही सुन्दर दोहे ...सभी एक से बढ़कर एक !
ReplyDeleteप्रेम, प्रकृति ,पर्यावरण सभी को समेटे बेहद सुन्दर ,मोहक प्रस्तुति ..हार्दिक बधाई अनिता जी ..बहुत-बहुत शुभकामनाएँ !!
अमितजी
ReplyDeleteआपकी सुन्दर मनभावन कविता के लिये बहुत बहुत बधाई!
उषा बधवार
अनीता जी, बहुत सुन्दर दोहे हैं...हार्दिक बधाई...|
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