दोहे
1-अनिता ललित
1
तुम बिन कुछ
भाता नहीं, टूटी मन की आस।
लगती फीकी
चाँदनी, आँखें बहुत उदास।।
2
रिश्तों की
बोली लगे, कैसा जग का खेल।
मतलब से
मिलते गले,, भूले मन का मेल।।
3
रिश्तों की क़ीमत
यहाँ, जिसने समझी आज।
दुख उसके बाँटें सभी, पूरे होते काज।।
4
छोटे पंख
पसार कर, उड़ने की ले आस।
दाना बिखरा न
मिला, चिड़िया आज उदास।।
5
कितना भी हँस
लीजिए, छिपे न मन की पीर।
सहरा होठों
पर ढले, अँखियन छलके नीर।।
6
छह-छह बच्चे
पालते, मात-पिता इक
संग
बूढ़े हों
माँ-बाप जब, बच्चे होते तंग।।
7
मैंने तो
चाहा सदा, पाऊँ तेरा साथ
तूने क्यों
हर पल छला, छोड़ा मेरा हाथ।।
8
फूल कहे 'ना त्यागिए!', ये काँटों का
हार
अपनों का
उपहार ये, इस जीवन का सार।।
9
अपनों ने कुछ
यूँ छला, छीना प्रेम-उजास।
अश्कों में
बहने लगी, मन की हर इक आस।।
10
सुख-दुख के ही ख्रेल हैं, क्या अवसर,
क्या मोड़।
अपने ही हैं
बाँधते, अपने देते तोड़।।
-0-
2-डॉ.सुरंगमा यादव
1
कहना था हमको बहुत, ढूँढे शब्द हजार।
बात जुबाँ पर रुक गई,देखो फिर इस बार।।
2
मिलन खुमारी थी चढ़ी,अलसाए थे नैन।
झकझोरा
दुर्दैव ने ,स्वप्न झरे बेचैन।।
3
कपट, बुराई ना छिपे, कितने करो उपाय।
जल में बैठी रेत ज्यों,हिलते ही उतराय।।
4
दर्द दिया तुमने हमें,किया बहुत उपकार।
गिरकर उठने की कला,सिखा गए दिलदार।।
5
बाधाओं से हारते ,कर्महीन इंसान ।
अथ से पहले अंत का,कर लेते अनुमान।।
6
सुगम राह ही चाहता,मन कैसा नादान।
लंबी दूरी देखकर , भरता नहीं उड़ान।।
7
खूब दिखाए जिंदगी, नखरे और गुरूर।
चल देती मुँह फेरकर,पल में कितनी दूर।।
8
मीठा-मीठा बोलकर, दे दी गहरी चोट।
शब्द आवरण में ढका,मन का सारा खोट।।
9
मन आँगन में रोप दो, प्रेम-दया की बेल।
कटुता मिट जाए सभी ,बढ़े परस्पर मेल।।
10
धूप सयानी हो गई, बचपन में ही खूब।
गरमी की देखो हनक ,सूखी जाए दूब।।
-0-
3-मंजूषा मन
3-मंजूषा मन
निशदिन
खोजा आपको, थामे
मन का छोर।
रहे हृदय से दूर जब,
भीगे नैना -कोर।
जीवन के सहज भाव सुख -दुख व रिश्तों से उपजी पीड़ा को अभिव्यक्ति देते सुंदर दोहों के लिए अनिता जी सुरंगमा जी मंजूषा जी को बधाई।
ReplyDeleteइस जीवन की कहानी, आप तीनों की ज़ुबानी! एक से बढ़कर एक सुंदर, सार्थक दोहे। बहुत आनन्द आया।आप सभी को बधाई एवं शुभकामनाएं!!
ReplyDeleteललिता जी,सुरंगमा जी,मंजूषा जी मनमोहक सार्थक दोहे ,बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ।आप तीनों को हार्दिक बधाई
ReplyDeleteललिता जी, सुरंगमा जी और मंजूषा जी सभी के दोहों में जीवन के सुख़ दुःख की अभिव्यक्ति का सुन्दर चित्रण मिला |आप तीनों को हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteसुरंगमा जी, मंजूषा जी... सुंदर भावपूर्ण दोहों के सृजन हेतु आपको बहुत-बहुत बधाई!
ReplyDeleteआदरणीय भैया जी, मेरे दोहों को स्थान देने हेतु ह्रदय से आभार!
आदरणीया सुदर्शन दीदी जी, सविता जी, प्रीति जी एवं अनिता मण्डा... आपका बहुत आभार सराहना एवं प्रोत्साहन हेतु!!!
~सादर
अनिता ललित
waah waah bahut sundar dohe anita ji surangma ji majusha ji bahut bahut badhai aap teeno ko
ReplyDeleteसभी दोहे बहुत ही सुंदर.....
ReplyDeleteअनिता जी, सुरंगमा जी एवं मंजूषा जी हार्दिक शुभकामनाएँ
बहुत सुंदर सभी दोहे...अनीता जी, सुरंगमा जी, मंजूषा जी आप सभी को हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया दोहे...अनिता जी,सुरंगमा जी तथा मंजूषा जी को हृदय-तल से बधाई !!
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