डॉ.कविता भट्ट
सीमाएँ
प्रगाढ़
होती निरंतर किसी वृद्धा के चेहरे की झुर्रियों -सी
असीम
बलवती- वर्गों की, कागजों, देशों की।
सीमाएँ
वर्गों की –
तय
करती अंधे-बहरे-गूँगे मापदंड,
अद्भुत
किन्तु सत्य श्वेत-श्याम-रंग-बेरंग
मेहनत,
विफलता और संघर्ष फिर भी,
इधर
भूख और प्यास भी अपराध -से हैं
आराम,
सफलता और विजय के दावे ही
उधर
दावतों का नित संवाद- सा है
सीमायें कागजों की –
तय करती पारंगतता सच्चे-झूठे प्रमाणों से
संचालक
अनकही-अनसुनी-अनदेखी पीड़ा के
इधर
गली कूंचे का मैकेनिक छोकरा
असफल
ही कहलाता है मैला-कुचैला,
उधर
अनाड़ी टाई पहने सफल ही कहलाता
कागज
धारी तथाकथित इन्जिनीयर छैला
सीमाएँ- यें देशों की-
संघर्ष,
युद्ध, शांति, संधियाँ, वार्ताएँ
संकुचन-प्रसारण,
सफलताएँ-विफलताएँ
इन्सान
तो क्या-पौधों, पशु-पक्षियों पर
लगवाती
लेबल, बंधवाती ट्रांसमीटर
इन्सान
है ;परन्तु हिन्दुस्तानी-पाकिस्तानी तय
करती
नदी
निरुत्तर, इधर या उधर का पानी तय करती
सीमाएँ-
प्रगाढ़
होती निरंतर किसी वृद्धा के चेहरे की झुर्रियों सी
असीम
बलवती- वर्गों की, कागजों, देशों की ।
-0-
(दर्शन
शास्त्र विभाग,हे०न० ब० गढ़वाल विश्वविद्यालय ,श्रीनगर गढ़वाल ,उत्तराखंड)
प्रगाढ़ होती निरंतर किसी वृद्धा के चेहरे की झुर्रियों सी
ReplyDeleteअसीम बलवती- वर्गों की, कागजों, देशों की । sundar
प्रगाढ़ होती निरंतर किसी वृद्धा के चेहरे की झुर्रियों सी
ReplyDeleteअसीम बलवती- वर्गों की, कागजों, देशों की । sundar
सीमाओं की व्याख्या करती सुंदर कविता ! सोचने योग्य बातें !
ReplyDeleteबधाई डॉ कविता भट्ट जी!
~सादर
अनिता ललित
कटु यथार्थ पर कटाक्ष करती सशक्त कविता ..बधाई !
ReplyDeleteसुंदर सशक्त कविता।बधाई।
ReplyDeleteसीमाओं का कटु सत्य प्रकट करती कविता बहुत सराहनीय है ।वधाई कविता भट्ट जी ।
ReplyDeleteसाभार, धन्यवाद आप सभी स्नेही, शुभेच्छु एवं आत्मीय जनों का
ReplyDeleteआप के ही प्रोत्साहन का प्रसाद
कविता
satya par adharit sunder rachna. kavita ji badhai.
ReplyDeletepushpa mehra.
कड़वा सच कहती सुन्दर रचना....कविता जी बधाई।
ReplyDeleteसीमाएँ
ReplyDeleteप्रगाढ़ होती निरंतर किसी वृद्धा के चेहरे की झुर्रियों -सी
असीम बलवती- वर्गों की, कागजों, देशों की। ati sundar ! seemao ke katu saty kahtee sundar v sateek rachna......naman ke saath -saath badhai kavita ji ....
इन्सान तो क्या-पौधों, पशु-पक्षियों पर
ReplyDeleteलगवाती लेबल, बंधवाती ट्रांसमीटर
इन्सान है ;परन्तु हिन्दुस्तानी-पाकिस्तानी तय करती
नदी निरुत्तर, इधर या उधर का पानी तय करती
Bahut ghan soch "seemaye" pyar karne ki apne pan ki bahut kuchhh..bahut achha likha hardik badhai...
सम सामायिक रचना है ऐसे ही लिखती रहिए
ReplyDeleteheart touching lines................इधर गली कूंचे का मैकेनिक छोकरा
ReplyDeleteअसफल ही कहलाता है मैला-कुचैला,
उधर अनाड़ी टाई पहने सफल ही कहलाता
कागज धारी तथाकथित इन्जिनीयर छैला
बड़े सधे शब्दों में एक कडवी सच्चाई लिख दी है आपने कविता जी...हार्दिक बधाई...|
ReplyDeleteDhanyavad priyanka jee aapka pyar hi meri urja
ReplyDelete