पथ के साथी

Saturday, October 13, 2012

बस इतना जानूँ


रामेश्वर काम्बोज ‘'हिमांशु

तुझे माँ कहूँ
या कहूँ वसुन्धरा
अतल सिन्धु
कल- कल सरिता
भोर- किरन
या मधुर कल्पना
बिछुड़ा मीत
या जीवन -संगीत
मुझे न पता,
बस इतना जानूँ-
तुझसे जुड़ा
जन्मों का मेरा नाता
आदि सृष्टि से
अब के  पल तक
बसी प्राणों में
धड़कन बनके
पूजा की ज्योति
तू आलोकित मन
तू है  मेरी अनुजा ।
-0-
 13अक्तुबर-2012

23 comments:

  1. बहुत सुन्दर भाव

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  2. बहुत प्यारी रचना .... सुंदर चोका

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  3. सुन्दर...
    बहुत सुन्दर चोका..

    सादर
    अनु

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  4. शशि पाधा15 October, 2012 09:46

    तुझे माँ कहूँ
    या कहूँ वसुन्धरा
    अतल सिन्धु
    कल- कल सरिता
    भोर- किरन
    या मधुर कल्पना

    प्रकृति के सभी रूपों में पावन रिश्ते को पाना| अति सुन्दर |

    सादर,
    शशि

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  5. आपकी शब्दों में जादू-सा होता है। बहुत सुन्दर शब्द-चित्रण और कोमल भाव। बधाई स्वीकारें।

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  6. वाह ! क्या बात है...! दिल के सारे मधुर भाव समेटे बड़ा ही प्यारा चोका है । मेरी हार्दिक बधाई के साथ ही आभार भी स्वीकारें ।

    प्रियंका

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  7. तुझे माँ कहूँ
    या कहूँ वसुन्धरा
    अतल सिन्धु
    कल- कल सरिता
    भोर- किरन

    जब प्रेम आत्मा से जुड़ जता है तब ऐसे ही शब्द निकलते हैं ......!!

    आपको नमन ....!!

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  8. बहुत सुन्दर भाव .... अत्यंत प्यारी रचना ....
    सादर
    मंजु
    manukavya.wordpress.com

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  9. puja ki pavitr sugandh se mahaki aapki bhavnayen man, aatma ko bahut sukhad bhavnaon se khud men samakar eak jyoti punj aasman se jami par utaar laayi hain aap yun hi likhte rahe shubkamnayen....

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  10. बहुत बहुत सुंदर ! बहुत पावन अनुभूति हुई पढ़कर !
    ~सादर !!!

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  11. हिमांशुजी बहुत ही सुंदर चोका ...बधाई...शुभकामनाएं !

    "धड़कन बनके

    पूजा की ज्योति

    तू आलोकित मन

    तू है मेरी अनुजा ।"

    डॉ सरस्वती माथुर

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  12. अनुपम पावन भाव अनुजा के लिए...बहुत खूबसूरत चोका!!
    अनुजा ने भी ढेर सारी शुभकामनाएँ संजो के रखी होंगी|
    सादर बधाई!!

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  13. बहुत सुन्दर भाव व शब्द-चित्रण।

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  14. बिछुड़ा मीत
    या जीवन -संगीत
    मुझे न पता,
    बस इतना जानूँ-
    तुझसे जुड़ा
    जन्मों का मेरा नाता.. kitna sundar rishta...

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  15. बहुत प्यारी पुनीत रचना। बहुत-२ शुभकामनाएं।
    सादर

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  16. तुझसे जुड़ा
    जन्मों का मेरा नाता
    आदि सृष्टि से
    अब के पल तक
    बसी प्राणों में
    ae nata sada aese hi bana rahe
    anuja shabd bahut hi snehi lagta hai

    rachana

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  17. आदि सृष्टि से
    अब के पल तक
    बसी प्राणों में...........जादू भरा चोका...बेहद सुंदर अभिव्यक्ति

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  18. आदि सृष्टि से
    अब के पल तक
    बसी प्राणों में
    कोमल-मधुर भाव .....
    आत्मा से कोमल भावों की बौछार !
    हरदीप

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  19. भावपूर्ण सुन्दर रचना।

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  20. "आदि सृष्टि से
    अब के पल तक
    बसी प्राणों में"

    जितनी प्रशंसा की जाए कम है ! बहुत ही मोहक चोका !

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  21. ज्योत्स्ना शर्मा18 October, 2012 18:01

    अप्रतिम .....निःशब्द कर देने वाली अभिव्यक्ति ...
    चिर संचित सुकर्मों का योग है आप जैसे भाई को पाना किसी भी बहिन के लिए ...बहुत बधाई ...हार्दिक शुभ कामनाएं !!
    ......सादर ज्योत्स्ना

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