रामेश्वर काम्बोज ‘'हिमांशु’
तुझे माँ कहूँ
या कहूँ वसुन्धरा
अतल सिन्धु
कल- कल सरिता
भोर- किरन
बिछुड़ा मीत
या जीवन -संगीत
मुझे न पता,
बस इतना जानूँ-
तुझसे जुड़ा
जन्मों का मेरा नाता
आदि सृष्टि से
अब के पल तक
बसी प्राणों में
पूजा की ज्योति
तू आलोकित मन
तू है मेरी अनुजा ।
-0-
13अक्तुबर-2012
बहुत सुन्दर भाव
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर।
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना .... सुंदर चोका
ReplyDeletekhubsurat kavita.....
ReplyDeleteसुन्दर...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चोका..
सादर
अनु
तुझे माँ कहूँ
ReplyDeleteया कहूँ वसुन्धरा
अतल सिन्धु
कल- कल सरिता
भोर- किरन
या मधुर कल्पना
प्रकृति के सभी रूपों में पावन रिश्ते को पाना| अति सुन्दर |
सादर,
शशि
आपकी शब्दों में जादू-सा होता है। बहुत सुन्दर शब्द-चित्रण और कोमल भाव। बधाई स्वीकारें।
ReplyDeleteवाह ! क्या बात है...! दिल के सारे मधुर भाव समेटे बड़ा ही प्यारा चोका है । मेरी हार्दिक बधाई के साथ ही आभार भी स्वीकारें ।
ReplyDeleteप्रियंका
तुझे माँ कहूँ
ReplyDeleteया कहूँ वसुन्धरा
अतल सिन्धु
कल- कल सरिता
भोर- किरन
जब प्रेम आत्मा से जुड़ जता है तब ऐसे ही शब्द निकलते हैं ......!!
आपको नमन ....!!
बहुत सुन्दर भाव .... अत्यंत प्यारी रचना ....
ReplyDeleteसादर
मंजु
manukavya.wordpress.com
puja ki pavitr sugandh se mahaki aapki bhavnayen man, aatma ko bahut sukhad bhavnaon se khud men samakar eak jyoti punj aasman se jami par utaar laayi hain aap yun hi likhte rahe shubkamnayen....
ReplyDeleteबहुत बहुत सुंदर ! बहुत पावन अनुभूति हुई पढ़कर !
ReplyDelete~सादर !!!
हिमांशुजी बहुत ही सुंदर चोका ...बधाई...शुभकामनाएं !
"धड़कन बनके
पूजा की ज्योति
तू आलोकित मन
तू है मेरी अनुजा ।"
डॉ सरस्वती माथुर
अनुपम पावन भाव अनुजा के लिए...बहुत खूबसूरत चोका!!
ReplyDeleteअनुजा ने भी ढेर सारी शुभकामनाएँ संजो के रखी होंगी|
सादर बधाई!!
बहुत सुन्दर भाव व शब्द-चित्रण।
ReplyDeleteबिछुड़ा मीत
ReplyDeleteया जीवन -संगीत
मुझे न पता,
बस इतना जानूँ-
तुझसे जुड़ा
जन्मों का मेरा नाता.. kitna sundar rishta...
बहुत प्यारी पुनीत रचना। बहुत-२ शुभकामनाएं।
ReplyDeleteसादर
तुझसे जुड़ा
ReplyDeleteजन्मों का मेरा नाता
आदि सृष्टि से
अब के पल तक
बसी प्राणों में
ae nata sada aese hi bana rahe
anuja shabd bahut hi snehi lagta hai
rachana
आदि सृष्टि से
ReplyDeleteअब के पल तक
बसी प्राणों में...........जादू भरा चोका...बेहद सुंदर अभिव्यक्ति
आदि सृष्टि से
ReplyDeleteअब के पल तक
बसी प्राणों में
कोमल-मधुर भाव .....
आत्मा से कोमल भावों की बौछार !
हरदीप
भावपूर्ण सुन्दर रचना।
ReplyDelete"आदि सृष्टि से
ReplyDeleteअब के पल तक
बसी प्राणों में"
जितनी प्रशंसा की जाए कम है ! बहुत ही मोहक चोका !
अप्रतिम .....निःशब्द कर देने वाली अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteचिर संचित सुकर्मों का योग है आप जैसे भाई को पाना किसी भी बहिन के लिए ...बहुत बधाई ...हार्दिक शुभ कामनाएं !!
......सादर ज्योत्स्ना