कुँअर बेचैन
1 जुलाई 1942को ग्राम -डमरी (
मुरादाबाद ) में जन्मे हिन्दी गीत -ग़ज़ल के पुरोधा कुँअर बेचैन( कुँवर बहादुर
सक्सेना) नहीं रहे। मेरे सम्पादन में
प्रकाशित पुस्तकों की शृंखला डीसेण्ट
हिन्दी रीडर में आपकी कविता ‘बेटियाँ शीतल हवाएँ’ बहुत चर्चित रही। यह
कविता विगत बीस वर्षों से कक्षा 8 के बहुत से विद्यार्थी पढ़ चुके हैं। सहज साहित्य -परिवार की
ओर से विनम्र श्रद्धांजलि !
रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
कुँवर बेचैन जी से आपके साथ ही पहली बार मिलना हुआ था मेरा। कक्षा 8 में उनकी जो कविता पढाई जाती है, बोटियों पर कितना सुन्दर लिखा है। बेचैन जी को सुनना बहुत अद्भुत अनुभव है। इस कोरोना ने न जाने कितने साहित्यकारों को हमसे छीन लिया। हार्दिक श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteओह बहुत दुःखद । हिंदी साहित्य का एक सितारा टूट गया।
ReplyDeleteबहुत दुःखद। विनम्र श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteनमन।
ReplyDeleteसुंदर कविता,विख्यात रचनाकार को नमन।
ReplyDeleteअपूरणीय क्षति, विनम्र श्रद्धांजलि।
हिन्दी के गजल सम्राट श्री कुंवर वैचैने जी से मेरी मुलाक़ात २००७ में प्रथम बार हुयी थी |इसके बाद अंतिम बार २०१२ में हिंदी चेतना के मंच पर उनकी गजलें और गीत सुने थे |उनकी दी गयी भेंट गजलों की कैसेट मैं बार -बार सुनता हूँ | आपके चेहरे पर मुस्कान और जिस नम्रता से आप मिलते थे |कभी भी भूल नहीं पाउँगा| बगवान उनकी आत्मा को परम शान्ति दे | श्याम त्रिपाठी हिन्दी चेतना
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि
ReplyDeleteदुःखद, विनम्र श्रद्धांजलि!
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि!
ReplyDeleteदुःखद समाचार। प्रभु दिवंगत आत्मा को शान्ति प्रदान करें। कविता वाक़ई बहुत सुंदर है।भावभीनी श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteबहुत ही दुखद है भगवान आपकी आत्मा को शांति दे।
ReplyDeleteसादर
रचना श्रीवास्तव
सादर नमन, विनम्र श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि
ReplyDeleteसाहित्य जगत को एक गहरा आघात लगा है।
ReplyDeleteबहुत दुःखद।
ReplyDeleteॐ शान्ति🙏
गीतों के "कुँवर" चले गए, स्वरों का सिंहासन खाली हो गया। उनके गीत, मधुर कंठ, सहज स्वभाव और विनम्रता हिन्दी साहित्य में अमर रहेंगे। नए रूपक और बिंबों से अपने गीतों में जीवन को बयान करने की उनकी शैली, आने वाली पीढ़ियों को बहुत कुछ सिखाती रहेगी। उनके जाने का गहरा दुख है। उनको सादर नमन!
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि
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