डोगरी गीत लोक गीत
चम्बे दिए डालड़िए
मोइए! दुआस नी औ
ते कल उन्नें आई पुज्जना
बनी बनी फुल्ली फुल्ली पौ ।
औन्दें गे उनें तुगी
गले कन्ने लाई लैना
चट्ट गे मनाई लैना
चट्ट गे हंसाई लैना
चुक्की जाने तेरे सारे रौ
मोइए! दुआस नी औ ।
ओ तुगी चन्ने ओंगन
प्यारे लगदे ने
न्हेरिएँ रातीं
लश्कारे बजदे ने
चौनें पासें होई जंदी लौ ।
मोइए! दुआस नी औ ।
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हिन्दी अनुवाद
-शशि पाधा
ओ चम्पा की कोमल डाली !
मोइए, उदास मत हो
कल तो वो लौट आएँगे
बनो सजो , फूलों सी खिलो ।
आते ही वो तुझे
गले से लगा लेंगे
झट ही मना लेंगे
झट ही हँसा लेंगे
मिट जाएँगे तेरे सारे गिले
मोइए! उदास मत हो ।
वो तुझे चाँद से
प्यारे लगेंगे
अँधेरी रातों में
लश्कारे लगेंगे
हो जाएगी चारों ओर लौ
मोइए! उदास मत हो ।
प्रसिद्ध डोगरी लोक गीत
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[मोइए संबोधन प्यार से किसी भी
नवयुवती के लिए प्रयोग किया जाता है । शाब्दिक अर्थ है- मृत प्राय लगने वाली ।]
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बहुत मनमोहक गीत शशि जी... बहुत बधाई।
ReplyDeleteसहज साहित्य के दस वर्ष पूर्ण होने पर आ० काम्बोज जी आपको हार्दिक बधाई।
सुन्दर ,मधुर गीत दीदी ..बहुत बधाई !
ReplyDeleteसहज साहित्य के दस वर्ष पूर्ण होने पर हार्दिक बधाई ..बहुत शुभकामनाएँ !!
बहुत सुंदर गीत शशि पाधा जी ..हार्दिक बधाई
ReplyDeleteSundar abhivykti...shubhkamnayen..
ReplyDeleteबहुत मधुर गीत ,बड़िया अनुवाद ।शशि जी शुभकामनायें बधाई । सहज साहित्य ने जीवन के दस कदम चल लिये ऐसे ही उत्कृष्ट रचनायों के साथ अनेकानेक कदम चले हार्दिक शुभ कामनायें ।
ReplyDeleteबहुत ही प्यारा व मधुर गीत !
ReplyDeleteहार्दिक बधाई शशि दीदी !
~सादर
अनिता ललित
डोगरी लोक गीत को आपका स्नेह मिला , आभार |यह गीत हम सदियों से शादी -ब्याह या किसी भी उत्सव में गाते हैं | हिन्दी अनुवाद में मैं पूरा न्याय कर सकी कि नहीं , यह बात आदरणीय भैया ही बतायेंगे | सहज साहित्य के दस वर्ष पूरे होने पर रामेश्वर भैया को बधाई | इस ब्लॉग से हमें और लिखने की ऊर्जा मिलती है |शुभकामनाएँ |
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteBahut khub..Shashi ji ..congrates
Respected sir..Apko or Sehaj Sahitya ke Sbhi
Members ko Congrates...
सुंदर लोकगीत का सुंदर अनुवाद शशि जी बधाई,ब्लोगों के शीर्ष पर स्थापित 'सहज साहित्य' के दस वर्ष पूरे होने पर काम्बोज भाई जी को
ReplyDeleteबधाई |
पुष्पा मेहरा
बहुत सुंदर लोकगीत ....बहुत बहुत बधाईयां
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मनमोहक लोकगीत है डोगरी के इस गीत का हिंदी अनुवाद भी बहुत अच्छा लगा यदि आप अनुवाद ना करती तो शायद हम इसका अर्थ समझ ही ना पाते |हार्दिक बधाई शशि जी |
ReplyDeleteसहज साहित्य के दस वर्ष पूरे होने पर भाई कम्बोज जी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं |
ReplyDeleteबहुत ही मधुर गीत !
ReplyDeleteहार्दिक बधाई शशि जी!!
सहज साहित्य के दस वर्ष पूरे होने पर भाई कम्बोज जी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !!!
सहज साहित्य के दस वर्ष पूरे होने पर काम्बोज भाई को बधाई और सादर शुभकामनाएँ. डोगरी गीत बहुत भावपूर्ण है. शशि जी को बधाई.
ReplyDeleteसहज साहित्य ने अपने खूबसूरत दस वर्ष इतनी सफलता के साथ पूरे कर लिए, बहुत बहुत बधाई...|
ReplyDeleteयह लोकगीत कितना मधुर है, देश की मिट्टी की गंध अंतर्मन महका जाती है...| बहुत बधाई और आभार...|