tag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post878072683038542775..comments2024-03-27T23:59:18.143+05:30Comments on सहज साहित्य : 731सहज साहित्यhttp://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-38806771733591992972017-05-20T19:37:59.684+05:302017-05-20T19:37:59.684+05:30विभाजी बहुत प्यारी रचना , कल-कल कर प्रवाहित होती, ...विभाजी बहुत प्यारी रचना , कल-कल कर प्रवाहित होती, संग चलने का आह्वान करती हुई ... बधाई सुन्दर सृजन के लिए Kamlanikhurpa@gmail.comhttps://www.blogger.com/profile/05894933359198383315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-30658542253895683002017-05-20T19:34:45.858+05:302017-05-20T19:34:45.858+05:30पीपल के पेड़ पर बैठे हुए गिद्ध
चर्चाएँ करते हैं
बह...पीपल के पेड़ पर बैठे हुए गिद्ध<br />चर्चाएँ करते हैं<br />बहेलिए, भेडि़ए, बाजों के बारे में<br />बड़े ही चाव के साथ,<br />वे हर चीज को देखना चाहते हैं<br />एक घाव के साथ।<br /><br /><br />व्यंग्य की पैनी धार के साथ सामाजिक विद्रूपता को दर्शाती यथार्थपरक रचना के लिए रमेशजी को बधाई Kamlanikhurpa@gmail.comhttps://www.blogger.com/profile/05894933359198383315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-80976802732317419022017-05-02T13:21:40.615+05:302017-05-02T13:21:40.615+05:30सुन्दर भावाभियक्ति के लिए रमेशराज जी, विभा जी
आप ...सुन्दर भावाभियक्ति के लिए रमेशराज जी, विभा जी <br />आप दोनों को बहुत बधाई।!!<br /><br />Jyotsana pradeephttps://www.blogger.com/profile/02700386369706722313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-22018395627283337852017-04-30T07:57:40.270+05:302017-04-30T07:57:40.270+05:30बेहतरीन रचनाएँ।
रमेशराज जी, विभा जी आप दोनों को बह...बेहतरीन रचनाएँ।<br />रमेशराज जी, विभा जी आप दोनों को बहुत बधाई।Krishnahttps://www.blogger.com/profile/01841813882840605922noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-27246579963147441142017-04-29T18:09:41.260+05:302017-04-29T18:09:41.260+05:30
भीतर का\सरल-तरल दृगों से\तोड़ के बंध\खोल के गाँठ...<br /> भीतर का\सरल-तरल दृगों से\तोड़ के बंध\खोल के गाँठें\बंधकों को मुक्त कर|आँसू का स्वभाव-उसका दिल खोल कर बाहर आ अपने भावों को व्यक्त कर अपने मन का बोझ हलका करने का आवाहन काव्य रूप में सुंदर अभिव्यक्ति है,विभा जी बधाई|रमेशराज जी का व्यंग्य भी यथार्थ परक है बधाई | Pushpa mehrahttps://www.blogger.com/profile/03375356603929430087noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-32994961365665292442017-04-29T09:58:33.841+05:302017-04-29T09:58:33.841+05:30रमेशराज जी, बहुत कुछ सोचने को मजबूर करती है आपकी र...रमेशराज जी, बहुत कुछ सोचने को मजबूर करती है आपकी रचना...| बहुत बधाई...|<br />विभा जी, बहुत अच्छी रचना...मेरी बधाई...|प्रियंका गुप्ता https://www.blogger.com/profile/10273874634914180450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-17198920548205754722017-04-28T07:31:03.033+05:302017-04-28T07:31:03.033+05:30आदरणीया विभा जी सार्थक सृजन के लिए हार्दिक बधाई ।
...आदरणीया विभा जी सार्थक सृजन के लिए हार्दिक बधाई ।<br /><br />रिक्त स्थान ।<br />प्रवाहित होने दे <br />भीतर का<br />सरल - तरल दृगों से <br />तोड़ के बंध / खोल के गाँठें <br />बंधकों को मुक्त कर ।<br /><br />सुनीता काम्बोजhttps://www.blogger.com/profile/03287350410187694457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-51576506719038302292017-04-28T07:29:54.411+05:302017-04-28T07:29:54.411+05:30आदरणीय रमेशराज जी व्यंगात्मक रचना के लिए हार्दिक ब...आदरणीय रमेशराज जी व्यंगात्मक रचना के लिए हार्दिक बधाई ।<br /><br />पीपल जो गिद्धों की संसद है-<br />वे उस पर बीट करते हैं,<br />और फिर वहीं से मांस की तलाश में<br />उड़ानें भरते हैं।<br /><br />बड़ी अदा से मुस्कराते हैं<br />‘समाज मुर्दाबाद’ के<br />नारे लगाते हैं<br />पीपल के पेड़ पर बैठे हुए गिद्ध।सुनीता काम्बोजhttps://www.blogger.com/profile/03287350410187694457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-41235163825504828462017-04-26T17:29:03.463+05:302017-04-26T17:29:03.463+05:30गिद्ध के स्वभाव की बहुत सुंदर अभिव्यक्ति है रमेशरा...गिद्ध के स्वभाव की बहुत सुंदर अभिव्यक्ति है रमेशराज जी। <br />विभा रश्मि जी आँसू कविता में क्या भाव पिरोएं हैं। बहुत अच्छे लगे। <br /><br />इतनी अच्छी भावाभियक्ति के लिए दोनों को बधाई। <br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/05248473740018889298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-83448315599712228772017-04-26T17:17:32.520+05:302017-04-26T17:17:32.520+05:30दो अलग भावधारा प्रवाहित करती सुन्दर रचनाएँ !
हार्द...दो अलग भावधारा प्रवाहित करती सुन्दर रचनाएँ !<br />हार्दिक बधाई !!ज्योति-कलशhttps://www.blogger.com/profile/05458544963035421633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-29140390592440579202017-04-26T15:17:51.713+05:302017-04-26T15:17:51.713+05:30 umda rachnaaye umda rachnaaye नीलिमा शर्मा Neelima Sharma https://www.blogger.com/profile/15015116506093296186noreply@blogger.com