tag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post6961346096370852552..comments2024-03-27T23:59:18.143+05:30Comments on सहज साहित्य : 993-नवगीत-कविताएँसहज साहित्यhttp://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-79508178528448973472020-07-03T23:45:43.141+05:302020-07-03T23:45:43.141+05:30वाह क्या बात है !! आदरणीय सर आपका सृजन बेजोड़ है।न...वाह क्या बात है !! आदरणीय सर आपका सृजन बेजोड़ है।नमनDr.Purnima Raihttps://www.blogger.com/profile/01017846358964709625noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-675679775829651812020-05-27T12:40:11.127+05:302020-05-27T12:40:11.127+05:30सभी रचनायें अद्भुत हैं... पढ़ते हुए कहीं भी ऐसा प्...सभी रचनायें अद्भुत हैं... पढ़ते हुए कहीं भी ऐसा प्रतीत नहीं होता कि ये रचनाएँ बर्षो पुरानी हैं... लगता है जैसे आज ही लिखी गईं हैं।<br /><br /><br />अनीति-नीति का<br />मिट रहा अन्तर<br />पुष्प बनो या<br />हो जाओ पत्थर ;<br />अर्थहीन सब<br />सागर- टीले। बहुत सुंदर पंक्तियां<br /><br />हार्दिक बधाई आदरणीय रामेश्वर सरमंजूषा मनhttps://www.blogger.com/profile/17416977159340116149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-55628809585563235932020-05-26T21:12:58.570+05:302020-05-26T21:12:58.570+05:30कुछ भी तो नहीं बदला। हालात तो आज भी उसी पुरानी देह...कुछ भी तो नहीं बदला। हालात तो आज भी उसी पुरानी देहरी पर खड़े हैं। बहुत सुंदर गहन रचनाएँ। हार्दिक बधाई भाईसाहब।Krishnahttps://www.blogger.com/profile/01841813882840605922noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-17461580522553694512020-05-26T19:24:38.581+05:302020-05-26T19:24:38.581+05:30आप सबने बरसों पुरानी मेरी रचनाओं को सराहा । धन्यवा...आप सबने बरसों पुरानी मेरी रचनाओं को सराहा । धन्यवाद के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। बहुत-बहुत आभार। रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'सहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-58519659975499172022020-05-26T15:38:43.220+05:302020-05-26T15:38:43.220+05:30बेहद भावपूर्ण एवँ मनमोहक रचनाएँ !
अनीति-नीति का
म...बेहद भावपूर्ण एवँ मनमोहक रचनाएँ !<br /><br />अनीति-नीति का<br />मिट रहा अन्तर<br />पुष्प बनो या<br />हो जाओ पत्थर ;<br />अर्थहीन सब<br />सागर-टीले<br /><br />आपकी लेखनी को सादर नमन भैया जी!Jyotsana pradeephttps://www.blogger.com/profile/02700386369706722313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-56031982868453922662020-05-26T08:47:11.169+05:302020-05-26T08:47:11.169+05:30एक से बढ़कर एक सुंदर रचनाएँ ... लगता है अभी ही सृजन...एक से बढ़कर एक सुंदर रचनाएँ ... लगता है अभी ही सृजन हुआ, वर्षों पुरानी नहीं लगती । आज भी उतनी ही समसामयिक प्रतीत होती हैं । <br />उत्कृष्ट सृजन के लिए हार्दिक अभिनंदन सर Dr. Purva Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12677408421467945951noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-88415302857453280042020-05-25T23:19:32.961+05:302020-05-25T23:19:32.961+05:30बहुत सुन्दर रचनाएँ...कौन कह सकता है कि ये रचनाएँ व...बहुत सुन्दर रचनाएँ...कौन कह सकता है कि ये रचनाएँ वर्षों पहले लिखी गईं थीं , वही धार...वही पैनापन, जो आज की लेखनी में है | बहुत बहुत बधाई और आभार भी कि आपकी पुरानी रचनाएँ भी पढने को मिल रही |प्रियंका गुप्ता https://www.blogger.com/profile/10273874634914180450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-62485585422729944622020-05-25T21:10:37.462+05:302020-05-25T21:10:37.462+05:30कुछ भी कहाँ बदला इतने वर्षों में! हर रचना बेजोड़ एव...कुछ भी कहाँ बदला इतने वर्षों में! हर रचना बेजोड़ एवं लाजवाब! आपको एवं आपकी लेखनी को नमन!<br />~सादर<br />अनिता ललितAnita Lalit (अनिता ललित ) https://www.blogger.com/profile/01035920064342894452noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-67478196321397446622020-05-25T18:10:39.382+05:302020-05-25T18:10:39.382+05:30बहुत सुन्दर, भावपूर्ण एवं गहरी अनुभूति की रचनाएँ. ...बहुत सुन्दर, भावपूर्ण एवं गहरी अनुभूति की रचनाएँ. समय के अंतराल में कुछ भी नहीं बदला. कितनी गहरी बात ...<br /> <br />अनीति-नीति का<br />मिट रहा अन्तर<br />पुष्प बनो या<br />हो जाओ पत्थर ;<br /> अर्थहीन सब<br /> सागर- टीले ।<br /><br />बहुत बहुत बधाई काम्बोज भाई.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-86679546897135426922020-05-25T15:59:31.087+05:302020-05-25T15:59:31.087+05:30मानवीय प्रवृत्तियों का सुन्दर चित्रण । हार्दिक बधा...मानवीय प्रवृत्तियों का सुन्दर चित्रण । हार्दिक बधाई भैया जी ।dr.surangma yadavhttps://www.blogger.com/profile/02341987635896388089noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-71184486489450333092020-05-25T15:42:23.653+05:302020-05-25T15:42:23.653+05:30सभी कवितायें एक से एक बढ़कर हैं भाई काम्बोज जी ...म...सभी कवितायें एक से एक बढ़कर हैं भाई काम्बोज जी ...मुकर गयी यदि नयनों की भाषा साथ क्या देगी पंगु परिभाषा... वाह बहुत सुन्दर है हार्दिक बधाई भाई साहब |सविता अग्रवाल 'सवि'https://www.blogger.com/profile/18325250763724822338noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-70981332596570762582020-05-25T14:14:34.782+05:302020-05-25T14:14:34.782+05:30बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति
सुंदर सृजन हेतु हार्दिक बधा...बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति<br />सुंदर सृजन हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-89375262927204861832020-05-25T12:46:57.450+05:302020-05-25T12:46:57.450+05:30सभी कविता बहुत अच्छी ।मन के भावनाओं को लिपिबद्ध बह...सभी कविता बहुत अच्छी ।मन के भावनाओं को लिपिबद्ध बहुत ही अच्छे से किया आपन।<br />आज भी सभी प्रासंगिक है<br />Satya sharmahttps://www.blogger.com/profile/16220283562585438725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-22613967054913952282020-05-25T11:19:02.794+05:302020-05-25T11:19:02.794+05:30वाह बहुत ही सुंदर रचनाएँ ...वाह बहुत ही सुंदर रचनाएँ ...सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-76033336280511398692020-05-25T10:31:17.736+05:302020-05-25T10:31:17.736+05:30बहुत सुन्दर बहुत सुन्दर Onkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-13421793402152250672020-05-25T09:45:02.532+05:302020-05-25T09:45:02.532+05:30सभी रचनाएँ सुंदर, आपको बधाई एवं शुभकामनाएँ भाई साह...सभी रचनाएँ सुंदर, आपको बधाई एवं शुभकामनाएँ भाई साहब....बस दुख यही कि कुछ नहीं बदला, जो पेड़ लगते हैं उन्हीं को छाया नहीं मिलती....प्रीति अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/05992941416009106980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-90623165545956958332020-05-25T08:37:01.094+05:302020-05-25T08:37:01.094+05:30मानवीय व्यवहार के विभिन्न रंगों को समेटे बहुत सुंद...मानवीय व्यवहार के विभिन्न रंगों को समेटे बहुत सुंदर रचनाएं। हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीय भाई साहब जी।<br />-PJKaur ReetAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-61485832907580869502020-05-25T07:55:01.701+05:302020-05-25T07:55:01.701+05:30'आए थे जो खेल देखने,
चुपके से वे खिसके लोग।,
-...'आए थे जो खेल देखने,<br />चुपके से वे खिसके लोग।,<br />- मानव की प्रवृत्तियों को उकेरती सभी कविताएँ बहुत सुन्दर हैं। जो सच तीन दशक पहले था, आज भी वैसा ही दिखाई देता है। <br />हार्दिक शुभकामनाएँ, महोदय! <br /><br />कुँवर दिनेशHYPHENhttps://www.blogger.com/profile/17883919592742541517noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-64899920435997759182020-05-25T07:45:59.661+05:302020-05-25T07:45:59.661+05:30सभी रचनाएं अच्छी लगी। मुझे रिश्ते रेतीले की उपमा ब...सभी रचनाएं अच्छी लगी। मुझे रिश्ते रेतीले की उपमा बहुत अच्छी लगी।Anita Mandahttps://www.blogger.com/profile/03558205535588084045noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-87640929390964549872020-05-25T07:41:26.050+05:302020-05-25T07:41:26.050+05:30हमने ही थे पेड़ लगाए , नदिया के तट पर
आज हमें ही मि...हमने ही थे पेड़ लगाए , नदिया के तट पर<br />आज हमें ही मिल पाई है, उनकी छाँव नहीं ।<br /> .....जो स्थितियाँ 35 वर्ष पूर्व थीं,आज भी वही स्थितियाँ,वही स्वार्थपरता और भावुक लोगो की वही भावुकता विद्यमान है।बहुत प्रभावी रचनाएँ।नमन।शिवजी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/11658195805454614870noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-22932847857536610752020-05-25T07:26:11.661+05:302020-05-25T07:26:11.661+05:30अनीति-नीति का
मिट रहा अन्तर
पुष्प बनो या
हो जाओ पत...अनीति-नीति का<br />मिट रहा अन्तर<br />पुष्प बनो या<br />हो जाओ पत्थर ;।<br /><br />हमने ही थे पेड़ लगाए , नदिया के तट पर<br />आज हमें ही मिल पाई है, उनकी छाँव नहीं ।<br /><br />राह दिखाने वाले बनकर,<br />लूट ही लेते राहों में<br />इन्होंने अवसर को पूजा,<br />थे ये कब और किसके लोग।<br /><br />जो पैंतीस वर्ष पहले था आज भी वही है। सभी रचनाएँ मन को छू गईं। अति सुंदर । बधाई <br /><br /><br />Sudershan Ratnakarhttps://www.blogger.com/profile/04520376156997893785noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-45402682671508605042020-05-25T07:07:01.384+05:302020-05-25T07:07:01.384+05:30अवसर पूजने वाले लोग पेड़ काट लेते हैं।अनीति का दामन...अवसर पूजने वाले लोग पेड़ काट लेते हैं।अनीति का दामन थामे यही जग के ठेकेदार बने घूमते हैं । <br />सामयिक वास्तविकता को दर्शाती सुंदर रचना , बधाई । Ramesh Kumar Sonihttps://www.blogger.com/profile/18273144880883311040noreply@blogger.com