tag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post6702196464569221405..comments2024-03-27T23:59:18.143+05:30Comments on सहज साहित्य : 998सहज साहित्यhttp://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-34773753191089677842020-06-07T21:29:32.723+05:302020-06-07T21:29:32.723+05:30तीनों कविताओं के भाव मन को गहरे छू गए. बहुत संवेदन...तीनों कविताओं के भाव मन को गहरे छू गए. बहुत संवेदनापूर्ण ...<br /><br />शहर लिपटा<br /> है धुएँ में ,<br />भीड़ में<br /> सब हैं अकेले ;<br />स्वार्थ की है<br />धूप गहरी<br />कपट के हैं<br />क्रूर मेले ।<br /><br />बधाई काम्बोज भाई.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-84424373705000250172020-06-06T10:17:23.879+05:302020-06-06T10:17:23.879+05:30तीनों कविताएँ कटु सत्य को उजागर करती हुई शानदार अभ...तीनों कविताएँ कटु सत्य को उजागर करती हुई शानदार अभिव्यक्ति!<br />बधाई आपको !ऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-74556018578243055862020-06-05T09:41:32.657+05:302020-06-05T09:41:32.657+05:30तीन कविताएँ...तीन भाव...पर सभी अपनी पीड़ा से पाठक क...तीन कविताएँ...तीन भाव...पर सभी अपनी पीड़ा से पाठक के दिल पर आघात करते हुए...| बहुत सुन्दर...|<br />मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें...| प्रियंका गुप्ता https://www.blogger.com/profile/10273874634914180450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-54711962530835716422020-06-04T20:49:51.059+05:302020-06-04T20:49:51.059+05:30बेहद शानदार कविताएं
तीनों एक से बढ़कर एकबेहद शानदार कविताएं<br />तीनों एक से बढ़कर एकDr. Sushma Guptahttps://www.blogger.com/profile/00325942414759145903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-75804942984466295312020-06-04T10:51:10.632+05:302020-06-04T10:51:10.632+05:30"दूरदर्शनी बने हुए
इस दौर के
भोण्डे तुक्कड़,
..."दूरदर्शनी बने हुए<br />इस दौर के<br />भोण्डे तुक्कड़,<br />सरस्वती के सब बेटे<br />हैं घूमते<br />बनकर फक्कड़ ;<br />अपमान का गरल पी रहा<br />ग़ालिब का दीवान सड़क पर।"<br /><br />- आज के समाज के कटु सत्य को उजागर करती बहुत सुन्दर रचनाएँ! हार्दिक बधाई! HYPHENhttps://www.blogger.com/profile/17883919592742541517noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-4062235751853675702020-06-04T10:50:52.849+05:302020-06-04T10:50:52.849+05:30"दूरदर्शनी बने हुए
इस दौर के
भोण्डे तुक्कड़,
..."दूरदर्शनी बने हुए<br />इस दौर के<br />भोण्डे तुक्कड़,<br />सरस्वती के सब बेटे<br />हैं घूमते<br />बनकर फक्कड़ ;<br />अपमान का गरल पी रहा<br />ग़ालिब का दीवान सड़क पर।"<br /><br />- आज के समाज के कटु सत्य को उजागर करती बहुत सुन्दर रचनाएँ! हार्दिक बधाई! HYPHENhttps://www.blogger.com/profile/17883919592742541517noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-83331840503779006172020-06-02T22:27:34.844+05:302020-06-02T22:27:34.844+05:30 पीड़ा का गहन भाव अभिव्यक्त करती कविताएँ । सभी कवित... पीड़ा का गहन भाव अभिव्यक्त करती कविताएँ । सभी कविताएँ अलग अलग रंग लिए हुए । आपको हार्दिक अभिनंदन । Dr. Purva Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12677408421467945951noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-21135194515346851382020-06-02T22:24:07.047+05:302020-06-02T22:24:07.047+05:30समाज और शासन को दर्पण दिखलाती बहुत सुंदर, सार्थक औ...समाज और शासन को दर्पण दिखलाती बहुत सुंदर, सार्थक और सटीक रचनाएँ, बधाई स्वीकारें आदरणीय!!प्रीति अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/05992941416009106980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-12066213793260532632020-06-02T21:00:15.669+05:302020-06-02T21:00:15.669+05:30आप सभी का हृदयतल से आभार । आपका एक-एक शब्द मेरे लि...आप सभी का हृदयतल से आभार । आपका एक-एक शब्द मेरे लिए ऊर्जा है।<br /><br />रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'सहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-58949824990029352572020-06-02T17:58:35.160+05:302020-06-02T17:58:35.160+05:30तूफ़ान/
दानव सड़क पर
पत्थरों के इस शहर में
सभी कविता...तूफ़ान/<br />दानव सड़क पर<br />पत्थरों के इस शहर में<br />सभी कविताएं अंतस की पीड़ा को सृजित कर रही हैं, हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं आदरणीय भाई साहब जी।<br />-परमजीत कौर'रीत'Reet Mukatsarihttps://www.blogger.com/profile/01232975641070886883noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-40273508891832598122020-06-02T15:47:47.958+05:302020-06-02T15:47:47.958+05:30तीनों ही कवितायें मन पर गहरी छाप छोड़ रही है 'इ...तीनों ही कवितायें मन पर गहरी छाप छोड़ रही है 'इस शहर' कविता में मन का दर्द बहुत खूबी से उभर रहा है ,हार्दिक बधाई भाई साहब |सविता अग्रवाल 'सवि'https://www.blogger.com/profile/18325250763724822338noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-43791795183266816162020-06-02T15:46:57.342+05:302020-06-02T15:46:57.342+05:30बहुत ही शानदार अभिव्यक्ति।
अपमान का गरल पी रहा
ग़...बहुत ही शानदार अभिव्यक्ति।<br /><br /> अपमान का गरल पी रहा<br />ग़ालिब का दीवान सड़क पर ।<br />तो लाजवाब।<br />आक्रोश व्यंग्य के कितने रंग हैं इनमें। बहुत बधाई आदरणीय।Anita Mandahttps://www.blogger.com/profile/03558205535588084045noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-17942688378705748072020-06-02T14:52:33.870+05:302020-06-02T14:52:33.870+05:30तीनों कविताओं में मन की व्यथा जो कहीं राजनीति और ...तीनों कविताओं में मन की व्यथा जो कहीं राजनीति और समाज में आई स्वार्थपरता अराजकता मानवीय मूल्यें के ह्रास के कारण उत्पन्न हुई है, का बहुत सुंदर चित्रण है।उत्कृष्ट सृजन के लिए हार्दिक बधाई ।Sudershan Ratnakarhttps://www.blogger.com/profile/04520376156997893785noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-73091364138520171342020-06-02T14:07:21.282+05:302020-06-02T14:07:21.282+05:30व्यंग्य का पैनापन वर्तमान की सही ब्याख्या करते हुए...व्यंग्य का पैनापन वर्तमान की सही ब्याख्या करते हुए और समाज , सत्ता को आइना दिखाते हुए प्रस्तुत हुआ है । अच्छी रचना - बधाई ।Ramesh Kumar Sonihttps://www.blogger.com/profile/18273144880883311040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-4714803476853045532020-06-02T11:49:36.413+05:302020-06-02T11:49:36.413+05:30तीन कविताएँ तीन अलग अलग भावों की अभिव्यंजक हैं,...तीन कविताएँ तीन अलग अलग भावों की अभिव्यंजक हैं,'तूफान सड़क पर'में मूल्यहीन/स्वार्थी राजनीति और समाज पर प्रहार है,दूसरी कविता'बीच सड़क पर'में अराजक होते समाज के चित्र के साथ ही उनसे टक्कर लेते हुए लोगो का संकेत करके सकारात्मक संदेश भी है वहीं तीसरी कविता'इस शहर में' स्वार्थी समाज के मध्य भावुक मन की व्यथा का सहज चित्रण है।आपकी लेखनी को नमन।शिवजी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/11658195805454614870noreply@blogger.com