tag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post5057324323620379651..comments2024-03-27T23:59:18.143+05:30Comments on सहज साहित्य : 936सहज साहित्यhttp://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-72181354280933753862019-11-12T09:21:47.411+05:302019-11-12T09:21:47.411+05:30सविता जी,सुदर्शन जी,सुरंगमा जी,कृष्णा जी,ज्योत्स्न...सविता जी,सुदर्शन जी,सुरंगमा जी,कृष्णा जी,ज्योत्स्ना जी एवंओंकार जी,आप सभी के प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत आभार!प्रीति अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/05992941416009106980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-40280417688108588692019-11-11T20:46:53.989+05:302019-11-11T20:46:53.989+05:30बहुत बढ़िया बहुत बढ़िया Onkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-30462221491458764102019-11-11T09:58:04.392+05:302019-11-11T09:58:04.392+05:30आ.कृष्णा जी एवं प्रीति जी,बहुत ख़ूबसूरत रचनाएँ हैं...आ.कृष्णा जी एवं प्रीति जी,बहुत ख़ूबसूरत रचनाएँ हैं! मंजूषा जी का दोहा भी बहुत प्यारा ! आप सभी को हृदय-तल से बधाई !Jyotsana pradeephttps://www.blogger.com/profile/02700386369706722313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-29866789459833249582019-11-09T04:11:55.445+05:302019-11-09T04:11:55.445+05:30प्रीति जी की कविता और मंजूषा जी का दोहा दोनों बहुत...प्रीति जी की कविता और मंजूषा जी का दोहा दोनों बहुत सुंदर...आप दोनों को हार्दिक बधाई।Krishnahttps://www.blogger.com/profile/01841813882840605922noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-30329559186725404852019-11-08T17:46:57.432+05:302019-11-08T17:46:57.432+05:30कृष्णा जी एवं प्रीति जी बहुत सुन्दर रचनाएँ हैं आपक...कृष्णा जी एवं प्रीति जी बहुत सुन्दर रचनाएँ हैं आपकी।बहुत-बहुत बधाई ।मिलन की व्याकुलता से युक्त मंजूषा जी का सुन्दर दोहा।dr.surangma yadavhttps://www.blogger.com/profile/02341987635896388089noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-84736376667313097722019-11-08T11:45:35.996+05:302019-11-08T11:45:35.996+05:30यादों का समन्दर है कि सूखता ही नहीं।कृष्णा जी सच ...यादों का समन्दर है कि सूखता ही नहीं।कृष्णा जी सच में ये यादें पीछा ही नहीं छोड़तीं । भावपूर्ण कविता। प्रीतिजी मंजूषा जी बहुत सुंदर सृजन। आप तीनों को हार्दिक बधाई ।Sudershan Ratnakarhttps://www.blogger.com/profile/04520376156997893785noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-15295452470813816712019-11-08T08:44:33.098+05:302019-11-08T08:44:33.098+05:30कृष्णा जी बहुत सुन्दर भावों से पूर्ण कविता है सत्य...कृष्णा जी बहुत सुन्दर भावों से पूर्ण कविता है सत्य है स्मृतियों के घने कुहासे को छांटना बहुत मुश्किल होता है इसी उलझी सी उलझन में जीवन निकल जाता है |प्रीती जी आपके द्वारा सुन्दर सृजन के लिए और मंजूषा मन जी को उनके द्वारा रचित दोहे के लिए, तीनों रचियताओं को बधाई |सविता अग्रवाल 'सवि'https://www.blogger.com/profile/18325250763724822338noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-72076933671838281532019-11-08T08:43:07.700+05:302019-11-08T08:43:07.700+05:30बेहद सुंदर रचना कृष्णजी, स्मृतियाँ वाकई हटी होती ह...बेहद सुंदर रचना कृष्णजी, स्मृतियाँ वाकई हटी होती हैं, भुलाये नहीं भूलती!<br />भीगी पलके बार बार लग जाती हैं गुलाबी डोरों के गले....बहुत खूब!!<br />बहुत सुंदर दोहा मंजूषा जी,जा तन लागे,वा तन जाने!<br />आप दोनों को बधाई!प्रीति अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/05992941416009106980noreply@blogger.com