tag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post154627802513176265..comments2024-03-27T23:59:18.143+05:30Comments on सहज साहित्य : समीक्षा -जिंदगी यूँ तो सहज साहित्यhttp://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-58250177753720009212013-11-28T00:57:15.186+05:302013-11-28T00:57:15.186+05:30आप सभी का हार्दिक धन्यवाद् !आप सभी का हार्दिक धन्यवाद् !manju Mishrahttp://www.manukavya.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-68188749407642834502013-11-26T00:34:14.433+05:302013-11-26T00:34:14.433+05:30 क्या बात है! सच मन प्रसन्न हो गया। दोनो को बधाई... क्या बात है! सच मन प्रसन्न हो गया। दोनो को बधाई। <br /><br />यह पंक्तिया उत्तम है-<br /><br />रिश्ते, बुनी हुयी चादर / <br />एक धागा टूटा / बस उधड़ गए <br /> **<br />हमेशा अनबन सी रही <br />आँखें और होंठ / अलग अलग राग लापते रहे ! <br /> **<br />चलो जुगनू बटोरें / <br />चाँद तारे मिलें न मिलें Jyotsana pradeephttps://www.blogger.com/profile/02700386369706722313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-13659073394820491902013-11-20T17:19:29.868+05:302013-11-20T17:19:29.868+05:30'ज़िंदगी यूँ तो' नाम से कुछ ज़िंदगी के बहु...'ज़िंदगी यूँ तो' नाम से कुछ ज़िंदगी के बहुत ही क़रीब होने का अहसास सा हुआ! और सच में! ऐसा ही महसूस भी हुआ! इस काव्य संग्रह का जितना भी अंश यहाँ पढ़ा.. सचमुच दिल के बहुत नज़दीक लगा! इसे पूरा पढ़ने की इच्छा हो रही है! आपको बहुत-बहुत बधाई मंजु मिश्रा जी! देवी नागरानी जी की समीक्षा भी बहुत बढ़िया है... आपको भी हार्दिक बधाई!:-)<br /><br />~सादर<br />अनिता ललितAnita Lalit (अनिता ललित ) https://www.blogger.com/profile/01035920064342894452noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-39444874320493505152013-11-19T22:43:39.557+05:302013-11-19T22:43:39.557+05:30तमन्नाएँ ही जीवन हैं, इन्हे जी भर सँवारों तुम
तमन...तमन्नाएँ ही जीवन हैं, इन्हे जी भर सँवारों तुम <br />तमन्नाएँ नहीं होंगी, तो जी कर क्या करोगे तुम !<br /><br />आशा और विश्वास से पूर्ण सार्थक सन्देश. देवी नागरानी जी की इस समीक्षा को पढ़कर पुस्तक की उत्कृष्टता का सहज अंदाजा लगता है और इसे पूरा पढने की इच्छा बढ़ती है. काव्य संग्रह और समीक्षा के लिए मंजू जी और देवी नागरानी जी को बधाई. डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-73410723688112438252013-11-19T00:42:51.644+05:302013-11-19T00:42:51.644+05:30Manju ji aapke likhe ko me hamesha salam karti hoo...Manju ji aapke likhe ko me hamesha salam karti hoon bhav ka sagar shabdo ke ki doli chadh mano svasural aaya ho thoda lajata ayr thoda sharmata sabhi ko apna banae aese hi aapki kavitayen hai sabhi ko apna banati hai aur khud unki ho jati hain <br />bahut bahut badhai<br />RachanaRachanahttps://www.blogger.com/profile/15249225250149760362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-92113511162688457372013-11-18T09:26:36.700+05:302013-11-18T09:26:36.700+05:30एक पढने योग्य काव्य संग्रह की बहुत अच्छी समीक्षा ह...एक पढने योग्य काव्य संग्रह की बहुत अच्छी समीक्षा है...बहुत आभार और बधाई...|<br /><br />प्रियंकाप्रियंका गुप्ता https://www.blogger.com/profile/10273874634914180450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-24978618313117751542013-11-18T03:44:11.049+05:302013-11-18T03:44:11.049+05:30कविताओं की पंक्तियाँ और समीक्षा दोनों ही बहुत खूब ...कविताओं की पंक्तियाँ और समीक्षा दोनों ही बहुत खूब !<br />आप दोनो को बहुत-बहुत बधाई !Krishnahttps://www.blogger.com/profile/01841813882840605922noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-40501346756099377262013-11-17T20:59:34.417+05:302013-11-17T20:59:34.417+05:30समीक्षा इतनी सुन्दर है तो संग्रह कितना सुन्दर होगा...समीक्षा इतनी सुन्दर है तो संग्रह कितना सुन्दर होगा, समझना बिलकुल भी मुश्किल नहीं। मंजू जी आपकी शब्द फेसबुक पर तो पढ़ती ही रहती हूँ, अब बस इस संग्रह को अपने घर की लाइब्रेरी में सजाना चाहती हूँ। आपको अनेकानेक बधाई इतना सुन्दर लिखने के लिए. मेरा सौभाग्य था कि मैं आपसे रूबरू मिल पाई। <br /><br />-सादर, शैफाली Shaifalihttps://www.blogger.com/profile/13867250558554183782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-81149364199219829892013-11-17T20:59:05.045+05:302013-11-17T20:59:05.045+05:30समीक्षा इतनी सुन्दर है तो संग्रह कितना सुन्दर होगा...समीक्षा इतनी सुन्दर है तो संग्रह कितना सुन्दर होगा, समझना बिलकुल भी मुश्किल नहीं। मंजू जी आपकी शब्द फेसबुक पर तो पढ़ती ही रहती हूँ, अब बस इस संग्रह को अपने घर की लाइब्रेरी में सजाना चाहती हूँ। आपको अनेकानेक बधाई इतना सुन्दर लिखने के लिए. मेरा सौभाग्य था कि मैं आपसे रूबरू मिल पाई। <br /><br />-सादर, शैफाली Shaifalihttps://www.blogger.com/profile/13867250558554183782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-4757396637591219132013-11-17T17:16:33.881+05:302013-11-17T17:16:33.881+05:30जितना भी अंश यहाँ पढ़ पाई लगा कि विविध भावों से भरी...<br />जितना भी अंश यहाँ पढ़ पाई लगा कि विविध भावों से भरी जीवन धारा है "ज़िंदगी यूँ तो "...जो सहृदय पाठक को अपने साथ बहा ले जाने में समर्थ है ..बहुत बहुत बधाई कवयित्री को ...हार्दिक शुभ कामनाएँ !<br />साथ ही सुन्दर ,सरस ऐसी कि मन हो उठे पुस्तक पढ़ी जाए ...समीक्षा के लिए आ देवी नागरानी जी को भी हार्दिक बधाई ...सादर नमन !<br />ज्योत्स्ना शर्मा ज्योति-कलशhttps://www.blogger.com/profile/05458544963035421633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-34898637155171856622013-11-17T16:32:21.133+05:302013-11-17T16:32:21.133+05:30बहुत बहुत बधाई …………देवी नागरानी जी के द्वारा की गय...बहुत बहुत बधाई …………देवी नागरानी जी के द्वारा की गयी समीक्षा तो बेजोड होती है। vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-14028845844691434362013-11-17T14:47:17.961+05:302013-11-17T14:47:17.961+05:30जिन्दगी को निकट से देखती परखती कविताएँ बहुत सुंदर ...जिन्दगी को निकट से देखती परखती कविताएँ बहुत सुंदर हैं...समीक्षा की उत्कृष्टता ने मन मोह लिया...मंजु जी एवं देवी नागरानी जी को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ !!ऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-70051299689794527182013-11-17T12:10:58.884+05:302013-11-17T12:10:58.884+05:30एक घर में - साथ रहने भर से / रिश्ते नहीं बनते / रि...एक घर में - साथ रहने भर से / रिश्ते नहीं बनते / रिश्ते बँधने या / बाँधने के लिए नहीं होते / रिश्ते होते हैं एक दूसरे को सँभालने के लिए !!<br /><br />जिंदगी जीना, एक हुनर- सा है <br />जो सीख गया, वो ज़िन्दगी की बाज़ी जीता, नहीं तो हारा ! <br />मंजु मिश्रा जी के काव्य संग्रह की ये पंक्तियां पढ़ कर ही लग रहा है कि संग्रह कैसा होगा। <br />कितनी गहन सच्चाई रिश्तों की और दूसरी ओर जिन्दगी जीना वास्तव में एक हुनर सा ही है। मंजु जी को हार्दिक बधाई। जल्द ही मैं यह पूरी पढना चाहूँगी । सीमा स्मृतिhttps://www.blogger.com/profile/09265585405906262267noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-9218534911518695762013-11-17T12:10:42.951+05:302013-11-17T12:10:42.951+05:30एक घर में - साथ रहने भर से / रिश्ते नहीं बनते / रि...एक घर में - साथ रहने भर से / रिश्ते नहीं बनते / रिश्ते बँधने या / बाँधने के लिए नहीं होते / रिश्ते होते हैं एक दूसरे को सँभालने के लिए !!<br /><br />जिंदगी जीना, एक हुनर- सा है <br />जो सीख गया, वो ज़िन्दगी की बाज़ी जीता, नहीं तो हारा ! <br />मंजु मिश्रा जी के काव्य संग्रह की ये पंक्तियां पढ़ कर ही लग रहा है कि संग्रह कैसा होगा। <br />कितनी गहन सच्चाई रिश्तों की और दूसरी ओर जिन्दगी जीना वास्तव में एक हुनर सा ही है। मंजु जी को हार्दिक बधाई। जल्द ही मैं यह पूरी पढना चाहूँगी । सीमा स्मृतिhttps://www.blogger.com/profile/09265585405906262267noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6277721096600596935.post-20875615316028737572013-11-17T05:45:22.537+05:302013-11-17T05:45:22.537+05:30Dono hi lekhikaon ko bahut-bahut badhai padhkar ma...Dono hi lekhikaon ko bahut-bahut badhai padhkar man bahut khush ho gaya ek judav sa mahsus kiya maine...ek baar fir se bahut-2 badhai...Dr.Bhawna Kunwarhttps://www.blogger.com/profile/11668381875123135901noreply@blogger.com